रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सूरजगढ़ वासियों के लिए महानदी अभिशाप और वरदान दोनों है। जहां बरसात के मौसम में ये नदी ग्रामीणों पर कहर बनकर टूटती है, तो वहीं पानी उतरते ही इसी का पानी इनके लिए वरदान साबित होता है। गांववाले महानदी के बीच में बने टापू पर बीते कई सालों से खेती कर हजारों से लाखों रुपए की कमाई करते हैं।
रायगढ़ जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर महानदी के किनारे बसे गांव सूरजगढ़ की जनसंख्या करीब 400 के आसपास है। हर साल बरसात के दिनों में महानदी में आने वाली बाढ़ की वजह से जिला प्रशासन के द्वारा गांव को पूरी तरह से खाली करवाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाता है। बाढ़ के पानी से यहां रहने वाले ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनका गांव जिला मुख्यालय से कट जाता है, आने-जाने के लिए रास्ता नहीं बचता, फसल और मकान डूब जाते हैं। अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है।
इमरजेंसी में लोगों का अस्पताल या दूसरी जगह पहुंचना मुश्किल हो जाता है, लेकिन महानदी का पानी उतरते ही यही नदी उनके लिए वरदान बन जाती है। वैसे तो इस गांव में रहने वाले किसानों के पास उनकी खुद की जमीन है, लेकिन फिर भी महानदी का पानी कम होते ही गांव के अधिकांश किसान नाव के सहारे महानदी के बीच बने टापू पर पहुंचकर खेती करना पसंद करते हैं। चूंकि यहां की रेतीली जमीन काफी उपजाऊ होती है, जिससे कम लागत में किसानों को अपनी फसल से अच्छा-खासा मुनाफा मिल जाता है।
गांव के किसान रामलाल मांझी, रामकुमार, बाबाजी, सतवान, परसु गुप्ता, रमेश, प्रशांत के अलावा अन्य किसानों ने बताया कि महानदी के बीच में बने टापू पर वे बैंगन, ग्वारफली, बरबट्टी, झुनगा, मखना, करेला, हरी मिर्च के अलावा अन्य हरी सब्जियां उगाते हैं। गर्मी के दिनों में खरबूज, ककड़ी, खीरा और तरबूज की खेती करते हैं। वर्तमान में अभी यहां किसानों ने करेला, बैंगन, हरी मिर्च की फसल उगाई है।