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कांग्रेस को स्थानीय कुलपति चाहिए:प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राज्यपाल को पत्र लिखकर रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के लिए उठाई मांग,सर्च कमेटी बन चुकी है

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छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में कांग्रेस को स्थानीय कुलपति चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर के पंडित. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के लिए यह मांग उठा दी है। इसके लिए उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति और राज्यपाल अनुसूईया उइके को बाकायदा पत्र लिखा है।

मोहन मरकाम ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में नये कुलपति की नियुक्ति की जानी है। आपके आदेश से इसके लिए चयन समिति का गठन किया जा चुका है। चयन समिति संभवत: इस महीने नये कुलपति के नाम की सिफारिश कर सकती है। यह उचित होगा कि कुलपति की नियुक्ति में स्थानीय प्रतिभावान प्राध्यापकों को प्राथमिकता दी जाए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने स्थानीय कुलपति की जरूरत बताते हुए कुछ तर्क भी रखे हैं। उनका कहना है, छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय स्तर के अनेक प्रतिभावान प्राध्यापक उपलब्ध हैं, जो प्रदेश में और प्रदेश के बाहर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां के विद्वान प्राध्यापकों के शोध एवं प्राेजेक्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य किये गये हैं। स्थानीय प्राध्यापक, छत्तीसगढ़ के भौगोलिक, सामाजिक, शैक्षणिक और विद्यार्थियों की प्रतिभा से भी भलीभांति परिचित हैं।

मरकाम ने यह पत्र लिखा है

पिछले साल कृषि विश्वविद्यालय में बवाल था

पिछले साल इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय में स्थानीय कुलपति की मांग को लेकर विद्यार्थी और प्राध्यापक प्रदर्शन करने उतरे थे। वे बाहरी कुलपति का विरोध कर रहे थे। उस समय राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा था, इतना बड़ा प्रदेश है यहां 32% ट्राइबल 12% एससी और बाकी पिछड़ा वर्ग के लोग हैं। क्या आप चाहते हैं कि एक ही समाज के लोग केवल कुलपति बने अन्य समाज के नहीं। काफी हंगामे के बाद अंत में स्थानीय प्राध्यापक को ही कुलपति नियुक्त किया गया।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय से शुरू हुआ था विवाद

कुलपति नियुक्ति का यह विवाद कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में डॉ. बलदेव शर्मा को कुलपति बनाने के साथ हुआ। कहा जाता है कि शर्मा इससे पहले RSS की पत्रिका के लिए भी काम कर चुके हैं। सरकार नाराज थी कि शासकीय सदस्य के प्रस्ताव को राजभवन में बदल दिया। कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल को है, ऐसे में सरकार उसमें अधिक कुछ नहीं कर पाई। बाद में एक विधेयक पारित किया, जिसमें कुलपति नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल से वापस लेने की बात थी। इस विधेयक को कभी राज्यपाल की अनुमति नहीं मिली और वह लागू नहीं हो पाया।