छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के मकानों को अपनी हाईटेक पहचान मिलेगी। बिलासपुर स्मार्ट सिटी ने नगर निगम सीमा में आने वाले घरों में डिजिटल कोर नंबर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए बैंक से एग्रीमेंट भी किया गया है।
इसमें एक यूनिक आईडी नंबर सभी मकानों को मिलेगा, जिससे लोगों को टैक्स जमा करने के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इस डिजिटल नंबर के जरिए प्रॉपर्टी टैक्स के अलावा अन्य 24 तरह की सुविधाएं यूनिक डिजिटल प्लेट को स्कैन करने से मिलेगी।
स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहरी इलाकों के मकानों का डिजिटलाइजेशन करने का काम चल रहा है। इसके लिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने बैंक से ये एमओयू किया है। इसमें नगर निगम या स्मार्ट सिटी की ओर से किसी भी तरह का कोई खर्च नहीं किया जाएगा। अफसरों ने बताया कि डिजिटल डोर नंबर पूरे शहर को हाईटेक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और इस योजना के लिए वर्कआउट काफी समय से चल रहा था। अब एमओयू के बाद इस पर काम शुरू हो गया है।
ऑनलाइन मिलेगी मकानों की टैक्स संबंधी सभी जानकारी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम के तमाम शुल्क जमा करने की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जा रहा है। नगर निगम कमिश्नर कुणाल दुदावत का कहना है कि सभी डाटा को ऑनलाइन किया जाएगा। इसके बाद लोग क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करते ही कोड से मकान मालिक का नाम, पता और लोकेशन तत्काल मिल जाएगी। एक क्लिक से ही पता चल जाएगा कि कितने मकान कौन सी कॉलोनी में है। मकान मालिक टैक्स जमा कर रहा है या नहीं, इसकी भी जानकारी मिनटों में मिल जाएगी। इसी तरह नगर निगम की कचरा गाड़ी लोगों के घरों तक जाती है या नहीं। यह बस आसानी से ट्रेस हो जाएगा।
मिलेंगी ये सुविधाएं
डिजिटल डोर नंबर के जरिए मकान मालिक को ई गर्वर्नेंस से जुड़ी 24 सेवाएं घर पर लगे यूनिक डिजिटल प्लेट को स्कैन करते ही मिल जाएगी। बिलासपुर नगर निगम के सभी मकानों का एक यूनिक नबंर तैयार कर क्यूआर कोड के साथ प्लेट हर घर में लगाया जा रहा है और इस तरह से यूनिक नंबर से प्रापर्टी टैक्स, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, नल कनेक्शन, नामांतरण, भवन अनुज्ञा, नियमितीकरण समेत जरूरी सेवाओं के साथ पुलिस, एम्बुलेंस,फायर ब्रिगेड की आपातकालीन सेवाएं घर बैठे सुगमता से मिलेगी। घर की जरूरी पहचान होने से डोर टू डोर डिलीवरी भी हो पाएगी। इसके अलावा गुगल मैप पर भी घर का सही लोकेशन लोगों को पता चल जाएगा।
पहले मकान नंबर होती थी पहचान
बिलासपुर में मकानों को नंबर बांटने का सिलसिला काफी पहले ही बंद कर दिया गया है। पहले जिन मकानों को नंबर अलॉट किए गए थे वे 15 से 20 साल तक चले और फिर वो भी बंद हो गए। इसके बाद एक बार और घरों को यूआईडी देने की कवायद की गई थी। लेकिन, स्मार्ट सिटी की लेटलतीफी के चलते बिलासपुर इसमें काफी पिछड़ गया। अब नई और हाईटेक व्यवस्था के तहत क्यू आर कोड से मकानों को नई पहचान मिलेगी।