केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर में बढ़कर 6.20 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह घाटा सालभर के लक्ष्य का 37.3 प्रतिशत है. लेखा महानियंत्रक द्वारा 31 अक्टूबर को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल-सितंबर 2021 के लिए राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 22 के लक्ष्य का 35 प्रतिशत था. केंद्र ने वित्त वर्ष 2023 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 16.61 लाख करोड़ रुपये या फिर जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रखा है. राजकोषीय घाटा सरकार पर बाजार की उधारी को दर्शाता है.
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून की अवधि में केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह सरकार के पूरे साल के लक्ष्य का 21.2 फीसदी था. हालांकि, जून महीने में सरकार के घाटे में गिरावट आई है. सालाना आधार पर यह 1.51 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.48 लाख करोड़ रुपये पर आ गया था.
अप्रैल-सितंबर %YoY परिवर्तन बजट लक्ष्य का %
राजकोषीय घाटा 6.20 (लाख करोड़) 17.65% 37.3%
कुल प्राप्तियां 12.04 9.5% 52.7%
शुद्ध कर राजस्व 10.12 9.9% 52.3%
गैर-कर राजस्व 1.58 -1.7% 58.4%
विनिवेश 0.25 169% 38%
कुल व्यय 18.24 12% 46.2%
पूंजीगत व्यय 3.42 49% 45.7%
एक साल पहले की तुलना में 33 फीसदी अधिक
केंद्र ने सितंबर में 78,248 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा दर्ज किया, जो एक साल पहले की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है. शुद्ध कर राजस्व सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 3.12 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसी तरह गैर-कर राजस्व 248 प्रतिशत बढ़कर 40,796 करोड़ रुपये हो गया. कुल प्राप्तियां 22 प्रतिशत बढ़कर 3.55 लाख करोड़ रुपये हो गईं.
इस बीच, कुल व्यय सितंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 4.34 लाख करोड़ रुपये हो गया. वहीं, पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष से 57 फीसदी बढ़कर 90,561 करोड़ रुपये हो गया.
कुल मिलाकर अप्रैल-सितंबर के लिए, केंद्र की कुल प्राप्तियां 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 12.04 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि कुल व्यय 12 प्रतिशत बढ़कर 18.24 लाख करोड़ रुपये रहा. वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए अपने उधार कैलेंडर के अनुसार, सरकार ने वित्तीय वर्ष के लिए अपने बाजार उधार को 10,000 रुपये से घटाकर 14.21 लाख करोड़ रुपये कर दिया है.