देश में पहली बार गर्भावस्था में योग के जरिए कुपोषण, शिशु एवं माताओं की मृत्यु दर घटाने के लिए बड़ा प्रयोग किया जा रहा है। इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ से हुई है। यूनिसेफ और छत्तीसगढ़ योग आयोग मिलकर आदिवासी बहुल कोंडागांव जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह प्रयोग कर रहे हैं। इसके तहत कोंडागांव के 47 वेलनेस सेंटर में गर्भवती महिलाओं को योग करवाया जा रहा है। साथ ही गर्भावस्था और प्रसव के बाद मां और शिशुओं की सेहत पर योग के असर का अध्ययन किया जा रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर 159 प्रति लाख गर्भवती है।
राज्य में हर साल 18 हजार से ज्यादा नवजात की मौत जन्म के 2 हफ्ते के अंदर और 26 हजार से ज्यादा की मौत एक साल की अवधि में हो जाती है। इतना ही नहीं, 250 से ज्यादा बच्चे जन्म से ही हृदय रोग के शिकार हो जाते हैं। वहीं 13% से ज्यादा शिशुओं का वजन ढाई किलो से भी कम रहता है। बच्चों में विभिन्न प्रकार की शारीरिक-मानसिक विकृतियां भी हो रही हैं। आदिवासी इलाके में इस तरह के मामले बहुत अधिक बढ़ रहे हैं। इन सारी स्थितियों के पीछे कुपोषण के साथ गर्भावस्था के दौरान तनाव को भी बड़ी वजह माना जाता है। इसी तरह की समस्याओं पर रोक लगाने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है।
घर-घर जाकर भी करा रहे योग
इस प्रयोग में विशेष योग प्रोटोकॉल बनाया गया है। इसके तहत सेहत को ध्यान में रखते हुए योगासन, प्राणायाम आदि करवाए जाते हैं। वेलनेस सेंटर के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में भी योग की व्यवस्था की गई है। घर-घर जाकर भी योग प्रशिक्षक गर्भवती महिलाओं को लगातार अभ्यास करवा रहे हैं। मास्टर ट्रेनर ज्योति साहू के अनुसार, योग के जरिए गर्भवती महिलाओं की मानसिक तौर पर मजबूत बनाने और उनकी शारीरिक ऊर्जा में में संतुलन बनाने की कोशिशें भी की जा रही है।
इसके नतीजों को जानने के लिए लगातार हम स्टडी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने बताया कि प्रयोग सफल रहा तो बहुत जल्द इसे पूरे राज्य के आदिवासी अंचलों में भी लागू करेंगे। यूनिसेफ इसमें सहयोग दे रहा है, इसलिए सफर रहने पर इसे देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाएगा।