छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत और जन्मोत्सव शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए मंदिरों में तैयारी पूरी हो गई है। कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की अलग-अलग मान्यता है। ऐसे में यह आयोजन तीन दिन तक चलेगा। इस बार कृष्ण जन्मोत्सव को खास माना जा रहा है। अष्टमी के साथ ही रोहिणी नक्षत्र का योग भी बन रहा है। इसे जन्म जयंती योग कहा जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी भादो कृष्ण पक्ष अष्टमी की रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
वेंकटेश मंदिर के व्यवस्थापक और ज्योतिषाचार्य कौशलेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि वेंकटेश मंदिर में शुक्रवार को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 5 बजे जब भगवान जागेंगे तब स्थापन आरती कर आराधना की जाएगी। इसके बाद अर्चना की जाएगी। शुक्रवार होने की वजह से भगवान का महाभिषेक किया जाएगा और नूतन वस्त्र धारण कराकर विशेष श्रृंगार होगा।
शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक भजन-कीर्तन
ज्योतिषाचार्य कौशलेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि शाम छह बजे भगवान को झूले में बैठाया जाएगा। इसके बाद से रात्रि 12 बजे तक भजन-कीर्तन किया जाएगा। मंदिर परिसर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए संजाया संवारा जा रहा है। मंदिर में झूला लगाकर विशेष साज-सज्जा की गई है। 12 बजे रात्रि भगवान का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। स्त्रोत पाठ, तुलसी अर्चना के बाद भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा।
अपने-अपने मत से मनाते है जन्मोत्सव
पं. त्रिपाठी ने बताया कि जन्माष्टमी तीन दिन तक मनाई जा रही है। लोग अपने-अपने मत और सिद्धांत से पर्व मनाते हैं। कुछ लोग तिथि को प्रधानता देते हैं। लिहाजा, तिथि को प्रधानता देने वालों ने 18 अगस्त को पर्व मनाया। नक्षत्र और उदय व्यापनी तिथि के अनुसार पर्व मनाने वाले शुक्रवार को मनाएंगे। कुछ लोग उदयकाल में रोहिणी नक्षत्र मान कर 20 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे।
इसी तरह कुछ लोग मानते हैं कि भगवान का जन्म मथुरा कारावास में हुआ तो मथुरा के हिसाब से चलने वाले पहले दिन मनाते हैं और जो नंदबाबा के साथ रहे उन्हें दूसरे दिन जानकारी हुई, ऐसे लोग दूसरे दिन नंदोत्सव के रूप में कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।
अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र
ज्योतिषाचार्यों का मत है कि इस वर्ष जन्मोत्सव पर विशेष संयोग यह है कि अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र भी है। ऐसे में इसे जन्मजयंती योग माना जा रहा है। पुराणों के मुताबिक रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी तिथि की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस काल में भगवान का पूजन करने से व्यक्ति तीन जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है।
श्याम खाटू मंदिर का सजा दरबार
ज्वाली पुल के पास स्थित श्याम खाटू मंदिर में जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसके लिए श्याम खाटू का विशेष दरबार सजाया गया है। सुबह से विशेष पूजा आराधना के बाद दोपहर में भी भजन-कीर्तन और पूजन होगा। शुक्रवार की शाम छह बजे से मंदिर परिसर में खाटू श्याम भगवान का भजन-कीर्तन होगा, जो रात 12 बजे तक चलेगा।