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सहकारिता विधेयक पर तीखी तकरार:बृजमोहन ने कहा-कांग्रेस सत्ता के लिए आदमखोर, कांग्रेस बोली-आदमखोर भाजपा ने हमारी एक पीढ़ी खत्म की

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सहकारिता विधेयक में बदलाव को लेकर प्रदेश में सियासी बवाल शुरू हो चुका है। मंगलवार को इसी मसले पर भाजपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली। किसान मोर्चा के नेताओं के साथ मीडिया से बात करने पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर आए। दोनों नेताओं ने दावा किया कि सहकारिता विधेयक में संशोधन करके सहकारी सोसायटी के चुनावों को बंद किया जा रहा है। इसमें कांग्रेस से जुड़े लोगों को पद देकर उपकृत किया जाएगा।

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेसवार्ता में कहा, छत्तीसगढ़ सहकारिता संशोधन विधेयक लाया गया। यह विधेयक लोकतंत्र की हत्या है। किसान, आदिवासियों की अधिकारों को छीनने की कोशिश है। नियम के अनुसार सहकारी सोसायटी के चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाला जा सकता है। बोर्ड भंग होने पर सदस्यता समाप्त करने का नियम बनाया गया। इस विधेयक के जरिए सोसायटी-बैंकों के चुनाव का अधिकार समाप्त कर दिया है। प्रशासन नियुक्त करने का अधिकार भी तय किया गया है। सहकारी आंदोलन को समाप्त करने की साजिश रची गई है।
आदमखोर तक कह डाला
बृजमोहन ने आगे कहा- भाजपा लोकतंत्र को मानने वाला दल है। मगर कांग्रेस पिछले दरवाजे से सत्ता हासिल करने की कोशिश में है। पहले लोगों को नगर निगम के चुनावों में दो वोट देने का अधिकार था, महापौर को एक और दूसरा पार्षद को। कांग्रेसी आदमखोर हो गए हैं, अप्रत्यक्ष चुनाव करवाकर सत्ता हासिल करने का खून लग गया है, इनकी आदत में आ गया है। इसलिए महापौर का चुनाव नहीं करवाया, मंडियों में भी ऐसा हुआ। अब सोसायटी में ऐसा कर रहे हैं।

राज्यपाल के पास जाएगी भाजपा
बृजमोहन अग्रवाल ने ऐलान करते हुए कहा कि इस मामले में भाजपा राज्यपाल के पास जाएगी। हम उनसे कहेंगे कि इस संशोधन विधेयक पर दस्तखत न करें। सोसायटी के वोटर लगभग 1 करोड़ होते हैं। ये उन सभी एक करोड़ लोगों के अधिकार को छीनने जैसा है। अजय चंद्राकर ने कहा कि इस मामले में भाजपा सड़क की लड़ाई लडेगी, न्यायिक प्रक्रिया काे पूरा करते हुए इस पर रोक लगवाने हम अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

कांग्रेस ने दिया जवाब
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में डेढ़ दशक जिनकी सरकार थी, उस आदमखाेर भाजपा सरकार का अभिन्न अंग थे बृजमोहन अग्रवाल। किसी से नहीं छुपा है कि भाजपा के शासन में कैसे आदिवासियों के खून के दाग भाजपा सरकार पर लगे, लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कैसे भाजपा ने किया। कांग्रेस के एक पीढ़ी के नेताओं को झीरम में समाप्त करने की साजिश रची गई थी तो आदमखोर तो भाजपा की सरकार थी। अब प्रदेश में बहुमत के साथ चुनी गई कांग्रेस की शांति अहिंसा के मार्ग पर चलने वाली सरकार है। भाजपा ने 15 सालों तक राज्य में सहकारी संस्थाओं को नष्ट कर दिया था। कांग्रेस की सरकार सहकारी क्षेत्र के भले के लिए विधेयक पारित करवाई तो उसमें भी भाजपा अड़ंगेबाजी लगा रही। विधानसभा में पारित विधेयक को राज्यपाल से हस्ताक्षर नहीं करने को कहना अनुचित है।