छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बारिश और बाढ़ से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नदी-नाले उफान पर हैं। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में हाहाकार मचा हुआ है। शहर के कई मोहल्ले टापू बन गए हैं, कॉलोनियां जलमग्न हो गई हैं। कई कॉलोनियों में ट्रांसफार्मर डूब जाने से बिजली सप्लाई बंद है। ऐसे में कॉलोनीवासियों को अंधेरे में रतजगा करना पड़ रहा है। दैनिक भास्कर ने रविवार की रात ऐसे इलाकों का हाल जाना,
पिछले पांच दिनों से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है। स्थिति यह है कि नदी-नालों का पानी अब निचली बस्तियों, मोहल्लों के साथ कॉलोनियों में भर गया है। घर, स्कूल, दुकान और झुग्गी बस्तियां डूब गई हैं। शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी बाढ़ की स्थिति है। अरपा और मनियारी नदी के साथ लीलागर नदी के किनारे बसे गांव में हालात खराब है। यहां SDRF की टीम ने बाढ़ में फंसे करीब 100 लोगों को निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया।
सरकंडा में डूब गई बस्ती और मकान, ट्रांसफार्मर बंद
बाढ़ से सरकंडा के अशोक नगर के मेन रोड में बाढ़ का पानी आ गया है। नालियों में जलजमाव होने की वजह से पानी मुख्य मार्ग में तीन फीट ऊपर आ गया है। जिसके चलते दर्जन भर से अधिक मकान और दुकान में पानी घुस गया है। वहीं, ड्रीम लैंड स्कूल और बसोड़ मोहल्ले की झुग्गी झोपड़ियां डूब गई है। यहां रहने वाले परिवार ने दूसरे जगह आसरा लिया है। लगातार पानी में डूबने की वजह से कई मकान भी ढह गए हैं। इसी तरह चौबे कॉलोनी, जोरापारा और कपिलनगर में जलजमाव हो गया है।
इन मोहल्लों में भी ठीक नहीं है हालात
शहरी क्षेत्र में सिरगिट्टी, तिफरा, सकरी, घुरू, अमेरी, मन्नाडोल, डिपरापारा, कुंदरापारा, देवारपारा, यदुनंदन नगर, उसलापुर और सरकंडा में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। यहां कई मकान डूब गए हैं और यहां रहने वाले एक हजार से अधिक लोगों ने मकान छोड़ दिया है। प्रशासन का दावा है कि जिन मोहल्लों में मकान डूब गया है, वहां राहत कैंप लगाया गया है और 485 लोगों को अलग-अलग जगहों पर ठहराया गया है।
सड़क और गलियां लबालब, छह फीट भरा है पानी
सरकंडा के बंधवापारा, अरविंद नगर, जोरापारा सहित कई इलाकों में गई, जहां सड़क और गलियों में छह फीट पानी बह रहा था। लोगों की बाइक, कार और ऑटो तक पानी में डूब गए थे। इन हालात में लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है और कमरों में पानी होने के बावजूद लोग कुर्सी और बेड में बैठकर दिन और रात गुजार रहे हैं।