रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूरिया की कमी न होने देने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. यूरिया की जमाखोरी, कालाबाजारी व गलत तरीके से बिक्री पर रोक लगाने के लिए अलग-अलग राज्यों में ‘फर्टिलाइजर फ्लाइंग स्क्वॉड’ का गठन किया है.
उर्वरक मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि पिछले डेढ़ महीने में ऐसे यूरिया की लगभग 35,000 बोरियां (प्रत्येक में 45 किलोग्राम) जब्त की हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि सात एफआईआर दर्ज की गई हैं. टीम ने कई ऐसे मामले उजागर किए हैं जहां सब्सिडी पर मिलने वाला यूरिया किसानों की जगह उद्योगों को भेज दिया गया है.
6 राज्यों में हुई थी छापेमारी
मंत्रालय ने बताया है कि 20 मई को एकसाथ 6 राज्यों में 52 संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. इस छापेमारी में अधिकारियों ने पाया कि उद्योंगों के पास इंडस्ट्रियल ग्रेड बैग में एग्रीकल्चर ग्रेड यूरिया उपलब्ध था. यह छापेमारी, हरियाणा, केरल, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात और उत्तर प्रदेश में की गई थी. 1 दिन में टीम ने यूरिया के 7,400 बैग जब्त किए थे.
बेहद कम कीमत में मिलता है सब्सिडी वाला यूरिया
यूरिया की एक बोरी करीब 45 किलोग्राम की होती है. इसकी बाजार में कीमत 3,000 रुपये के आसपास होती है. हालांकि, सरकार किसानों को यह सब्सिडी पर उपलब्ध कराती है और उन्हें 266 रुपये में एक बोरी मिलती है. इसी कम कीमत का लाभ लेने के लिए उद्योग
टैक्स चोरी भी आई सामने
आमतौर पर यूरिया को ऐसे गलत तरीके से, प्लाईवुड, पशु चारा, क्रॉकरी, डाई और मोल्डिंग पाउडर बनाने वाले उद्योगों को बेचा जाता है. इन उद्योगों को सालाना लगभग 15 लाख टन यूरिया की आवश्यकता होती है. औद्योगिक ग्रेड यूरिया के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं पर तलाशी अभियान के दौरान 63.4 करोड़ रुपये की जीएसटी की चोरी का पता चला है. इसमें से 5.14 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है. इन लोगों के खिलाफ सीजीएसटी अधिनियम, उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जा रही है.
उवर्रक सब्सिडी पर खर्च बढ़ा
सरकार का उर्वरक सब्सिडी खर्च पिछले साल के 1.62 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। कृषि क्षेत्र में यूरिया की वार्षिक घरेलू खपत 325-350 लाख टन है.