इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने शुक्रवार को इंश्योरेंस कंपनियों को फाइनेंशियल और इश्योरेंस सेक्टर में 30 फीसदी तक एक्सपोजर रखने की मंजूरी दी. इन्वेस्टमेंट के लिए सेक्टोरल कैप लिमिट में बढ़ोतरी इंश्योरेंस और बैंकिंग शेयरों के लिए अच्छा साबित हो सकता है. इंश्योरेंस रेगुलेटर ने एक सर्कुलर में कहा है कि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इंश्योरेंस कंपनियों को फाइनेंशियल और इंश्योरेंस में इन्वेस्टमेंट एसेट 30 फीसदी तक निवेश की अनुमति दे रहा है.
इसके लिए इरडा (इन्वेस्टमेंट) रेगुलेशन, 2016 में संशोधन किया गया है. आपको बता दें कि उसमें इंश्योरेंस कंपनियों के लिए निवेश की यह सीमा 25 फीसदी थी. इरडा सर्वोच्च संस्था है जो भारत में इंश्योरेंस सेक्टर की देखरेख करता है. इसका मुख्य उद्देश्य पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना और इंश्योरेंस इंडस्ट्री को रेगुलेट करना है.
इससे पहले इश्योरेंस रेगुलेटर ने 2008 में इंश्योरेंस कंपनियों को कॉरपोरेट समूहों के शेयरों अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने की छूट दी थी. इरडा ने उस समय निवेश की तात्कालिक 10 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर 25 फीसदी करने का निर्णय लिया था.
पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार में सूचीबद्ध हों बीमा कंपनियां: इरडा चेयरमैन
हाल ही में इरडा ने बीमा कंपनियों से पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने के लिए कहा है. इरडा के चेयरमैन देवाशीष पांडा ने कहा था कि सूचीबद्ध होने से बीमा कंपनियों को अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और देश में बीमा का दायरा भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा था, ‘‘हम बीमा कंपनियों से सूचीबद्ध होने के लिए कह रहे है ताकि उनकी पूंजी तक पहुंच बढ़ सके. भारतीय जीवन बीमा निगम के सूचीबद्ध होने के साथ क्षेत्र का करीब 60 फीसदी हिस्सा सूचीबद्ध हो जाएगा.’’