रूस के हमले से यूक्रेन में कई देशों के नागरिक फंस गए हैं. कुछ मुल्क तो ऐसे हैं, जिन्होंने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है और कहा है कि वे खुद वहां से निकलने की कोशिश करें. लेकिन भारत ने अपने नागरिकों को यूक्रेन से लाने में पूरी ताकत झोंक दी है और उन्हें स्वदेश वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान शुरू किया है.
इसके साथ ही भारत ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए पश्चिमी शहर क्राकोविक के साथ ही हंगरी में जहोनी सीमा चौकी, पोलैंड में शेयनी-मेदिका सीमा चौकियों, स्लोवाक गणराज्य में विसने नेमेके तथा रोमानिया में सुकीवा पारगमन चौकी पर अधिकारियों का दल तैनात किया है. यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक पहुंच का इस्तेमाल करते हुए भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हमारे नागरिक सुरक्षित घर लौट रहे हैं.
लेकिन अन्य देश अपने नागरिकों को युद्ध के चंगुल से बचाने के मामले में कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं… आइए जानते हैं
चीन
करीब 6,000 चीनी नागरिकों के यूक्रेन में फंसने के साथ ही बीजिंग ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए एक चार्टर्ड विमान की घोषणा की है. इसने कीव छोड़ने वाले नागरिकों से चीनी ध्वज जैसे पहचान चिह्न को दिखाने का भी अनुरोध किया है. हालांकि चीन ने अपने नागरिकों को युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकालने की योजना फिलहाल टाल दी है, जबकि भारत का ऑपरेशन गंगा युद्धस्तर पर चल रहा है. यूक्रेन के चीनी दूतावास ने 27 फरवरी को एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि मौजूदा हालात नागरिकों को यहां से निकालने के लिए बहुत असुरक्षित थे.
राजदूत ने उन अफवाहों को भी खारिज किया कि वे कीव से चले गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने युद्धग्रस्त देश में फंसे चीनी नागरिकों को आश्वस्त किया कि उन्हें वहां छोड़ा नहीं गया है. चीन ने यूक्रेन में फंसे नागरिकों के लिए ना कोई यात्रा परामर्श और कोई समर्थन तंत्र जारी नहीं किया है, जबकि भारत ने संपर्क नंबर, परामर्श और समर्थन तंत्र जारी किए हैं. यूक्रेन में चीनी नागरिकों पर हमले हो रहे हैं, जबकि भारतीय ध्वज वाली बसों को सुरक्षित रास्ता दिया जा रहा है.
संयुक्त राज्य अमेरिका
युद्ध प्रभावित देश में फंसे अनुमानित 900 कर्मचारियों के साथ वॉशिंगटन डीसी ने घोषणा की है कि वह अमेरिकी नागरिकों को वहां से निकालने में सक्षम नहीं है, जबकि भारत का ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है. अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट किया, “हम अमेरिकी नागरिकों से आग्रह करते हैं कि यदि वे सुरक्षित हैं, तो निजी विकल्पों से अब देश छोड़ना शुरू करें. रास्तों और खतरों पर भी विचार करें. पोलैंड से लगती यूक्रेन की कई जमीनी सीमाओं और मुख्य मोल्डावियन क्रॉसिंग को पार करने के लिए काफी लम्बी लाइन है. हम अपने नागरिकों को हंगरी, रोमानिया और स्लोवाकिया सीमा पार करने की सलाह देते हैं. यहां भी आपको घंटों इंतजार करना पड़ सकता है.”
अमेरिकी दूतावास ने कम्यूनिकेशन के लिए एक ऑनलाइन फॉर्म और स्थानीय नंबर भी जारी किए है. अमेरिकी सरकार ने 22 फरवरी को यूक्रेन से लगी विभिन्न सीमाओं और विशिष्ट स्थानों पर जहां से अमेरिकी नागरिक सीमा पार कर सकते हैं, सीमाओं की संख्या और दूतावास के लोगों के फोन नंबरों की सूची जारी की. इसके साथ ही कुछ स्थानों पर, अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेनी सीमा पर दो दिनों के लिए भोजन और अन्य सामान भी ले जाने के लिए कहा है. सीमा पर इंतजार करने की अवधि भारत और अमेरिका के लिए समान ही है.
ब्रिटेन
रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर हमला करने से कुछ दिन पहले, ब्रिटिश दूतावास ने एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें बताया गया था कि वह युद्ध प्रभावित देश में कांसुलर पहुंच प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा और “ब्रिटिश नागरिकों को इन परिस्थितियों में वहां सुरक्षित निकालने के लिए कांसुलर समर्थन या सहायता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.” दूसरी ओर, भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. ब्रिटिश दूतावास को कीव से स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि कीव में भारतीय दूतावास अभी भी सक्रियता से काम कर रहा है. ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से यूक्रेनी अधिकारियों की सलाह का पालन करने को कहा है. साथ ही यह भी कहा कि मौजूदा समय में ब्रिटिश सरकार की ओर से उन्हें कोई अतिरिक्त सहायता देना संभव नहीं है.
जर्मनी
जर्मन सरकार ने भी अपने नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने की सूचना दी क्योंकि उन्हें वहां से निकालना मुमकिन नहीं था. बर्लिन ने अपना दूतावास बंद कर दिया है, लेकिन भारतीय दूतावास अभी भी काम कर रहा है. जर्मनी ने कहा है कि वह अपने नागरिकों को संकटग्रस्त देश से निकालने की स्थिति में नहीं है, जबकि भारतीय ‘ऑपरेशन गंगा’ जारी है. जर्मन सरकार ने मदद के लिए एडवाइजरी और हॉटलाइन नंबर भी जारी किये हैं.
मिस्र
यूक्रेन में मिस्र समुदाय के मुखिया ने कहा था कि मिस्र की सरकार यूक्रेन में अपने समकक्षों के साथ तालमेल कर रही है. हालांकि, छात्र मदद के लिए दूतावास से गुहार लगा रहे हैं. कुछ छात्रों ने खुद ही मामलों को अपने हाथों में लेने की कोशिश की और सीमा पार कर पोलैंड पहुंच गए.
मोरक्को
मोरक्को का दूतावास निकासी प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी कर रहा है. दूतावास ने यूक्रेन में मोरक्को के लोगों को यूक्रेन से पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया या हंगरी में शामिल होने वाले निकटतम जमीनी क्रॉसिंग-पॉइंट की ओर जाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही निकासी प्रक्रिया में सहायता के लिए मोरक्को के लोगों को मुफ्त टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं. मोरक्को के कई नागरिक वर्तमान में यूक्रेन, पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी के बीच क्रॉसिंग पॉइंट की ओर बढ़ रहे हैं.
नाइजीरिया
नाइजीरियाई सरकार ने कहा कि उसे रूसी आक्रमण की “आश्चर्यजनक रूप से” रिपोर्ट मिली थी और एक बार जब हवाईअड्डे खुल जाएंगे, उसके बाद वह लोगों की सहायता करने में सक्षम होगा. नाइजीरिया के छात्रों ने महसूस किया कि उन्हें सरकार से बड़े पैमाने पर जो संदेश मिल रहा था, उसका मतलब यह था कि वहां “वे अपने दम पर” थे और सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह की कोई भी मदद नहीं मिल रही है.