रामानुजगंज: जनपद पंचायत रामचंद्रपुर में अधिकारियों के अनदेखी के कारण मनरेगा कार्यों में मानव श्रम के जगह मशीनों से कार्य कराए जा रही है। जिसके कारण उन कार्यों के रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों पर हमला करने से भी चुक नहीं रहे हैं। मामला महादेवपुर ग्राम पंचायत के भेड़ी महुआ मैं बन रहे मनरेगा के तहत तालाब (बांध) का निर्माण कराया जा रहा है उसमें लगे जेसीबी को देखकर कुछ ग्रामीणों द्वारा न्यूज़ पोर्टल के रिपोर्टर विजय लाल मरकाम को वीडियो भेज कर सूचना दी। उसके पश्चात पत्रकार विजय लाल मरकाम, रामसूरत, बाबू राव व ड्राइवर भगवान सिंह के साथ 19/01/ 2022 को स्पोर्ट देखने भेड़ी महुआ पहुंचे। वहां पर जेसीबी से काम होते हैं देखा व ग्रामीणों से बात की। रिपोर्टिंग करने के बाद जब वापस जाने लगे तो रास्ते में विशुनपुरा प्राथमिक स्कूल के पास दो गाड़ी से कुछ लोग पहुंचे और मेरा रास्ता रोककर मुझे धमकाने लगे किसी तरह वहां से निकलने के बाद इन लोगों ने ग्राम कुंदी के पास फिर से हमें घेर लिए और मां बहन एवं जातिगत गाली गलौज करने लगे तथा जान से मारने की बात कहने लगे। इसमें अजय यादव कसरईया, अजय यादव कुंदी, हसमुदुल्लाह, विनोद यादव, सभी महादेवपुर निवासी एवं अन्य लोगों के द्वारा मेरे साथ गलत व्यवहार किया और मेरे साथ मारने की कोशिश की। इस संबंध में मैंने थाना बसंतपुर में सूचना दिया लेकिन थाना क्षेत्र कुंडा होने के कारण मैं 20/01/ 2022 को चौकी डिंडों में एफ आई आर दर्ज कराई एवं कार्यवाही करने की उम्मीद करता हूं।अब सवाल यह उठता है कि पत्रकार दूरदराज के क्षेत्रों में मनरेगा से कराए जा रहे कार्यों की अनियमितता के संबंध में रिपोर्टिंग कैसे करें। रामचंद्रपुर जनपद पंचायत के अधिकांश पंचायतों में मनरेगा के नियमों के तहत मानव द्वारा कार्य न कराकर जेसीबी व ट्रैक्टर से कार्य कराया जाता है और सांठगांठ कर मजदूरों के नाम पर पैसा आहरण किया जाता है। आखिर जेसीबी, ट्रैक्टर का भुगतान कैसे किया जाता है सूत्र बताते हैं की शिकायत हुई थी जिसमें जनपद पियो मौके पर 2 दिन पहले गए थे लेकिन उन्होंने क्या कार्रवाई की इसकी कोई जानकारी ना तो ग्रामवासी को है और ना ही किसी और को। इसका मतलब है कि जनपद के ही कुछ जिम्मेदार लोगों की मिलीभगत के कारण ही मजदूरों की जगह मशीनों से कार्य कराया जा रहा है। मगर तकनीकी सहायकों द्वारा जो सत्यापन किया जाता है उनमें मजदूरों के नाम से ही किया जाता है जबकि कार्य अधिकतर मशीनों से ही कराई जाती है। यह योजना फरवरी 2021 की बताई जाती है। जिसकी लागत लगभग 13लाख रूपये है जिसमें 6 से 7 लाख रूपए की भुगतान भी कर दिया गया है सूत्र यह भी बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले कुछ मजदूरों ने भी कार्य किया था जिन का भुगतान अभी भी बाकी है। इसी बीच वहां के सचिव लक्ष्मी प्रताप सिंह का निलंबित हो जाने के कारण उसमें कार्य करवाने की जिम्मेदारी सरपंच की ही आ गई और इसकी जिम्मेदारी किसके पास है शासन को तय करना चाहिए क्योंकि इसे लेकर एक पत्रकार पर भी हमला करने की कोशिश की गई जिसकी रिपोर्ट डिंडो चौकी में 20 जनवरी को पत्रकार ने दर्ज कराई। चौकी प्रभारी ने अन्य धाराओं के साथ ऐक्टो सीटी के तहत एफ आई आर दर्ज कर ली है।

