सरकार अपनी कुल सब्सिडी (Subsidy) में कटौती कर सकती है. सरकार उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में ज्यादा कटौती कर सकती है. सरकार के आने वाले बजट में अपनी खाद्य और उवर्रक सब्सिडी को क्रमश: 2.60 लाख करोड़ और 90,000 करोड़ रुपये पर रखने की उम्मीद है. यह वित्त वर्ष 2022 के लिए संशोधित अनुमानों के मुकाबले कम है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कुल सब्सिडी बिल करीब 5.35 से 5.45 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. अधिकारियों ने बताया कि सरकार इसे अगले वित्त वर्ष में कम करना चाहती है.
इकोनॉमिक टाइम्स से एक अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 के लिए राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.5 फीसदी पर रहने की उम्मीद है. यह पिछले बजट में घोषित जीडीपी के 6.8 फीसदी के मुकाबले अलग है. अधिकारी ने कहा कि खाद्य और उवर्रक पर सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) हमारे वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार ही होगी.
अनुमान से ज्यादा रहा सब्सिडी बिल
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए खाद्य सब्सिडी बिल (Food subsidy bill) के संशोधित अनुमानों में करीब 3.90 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है. यह बजट में किए गए 2.43 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. पर यह वित्त वर्ष 2021 के 4.22 लाख करोड़ रुपये से कम भी है. वित्त वर्ष 2022 में खाद्य सब्सिडी बजट में आवंटित के मुकाबले ज्यादा होगी. इसका कारण कोविड-19 की वजह से मार्च 2022 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत मुफ्त अनाज का वितरण है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की वित्त वर्ष 2022 के लिए कुल कीमत का अनुमान 1.47 लाख करोड़ रुपये किया गया है. सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 2022 के लिए उर्वरक सब्सिडी के लिए 79,530 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
उर्वरक सब्सिडी कम रहने का अनुमान
सरकार को उवर्रकों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से दोगुने अतिरिक्त फंड्स उपलब्ध कराने होंगे, जो सब्सिडी बिल को करीब दोगुना करके 1.41 लाख करोड़ रुपये कर सकता है. वित्त मंत्रालय में अधिकारियों ने कहा कि उवर्रक सब्सिडी के लिए आवंटन वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमानों से कम रहेगा.
बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के चीफ इकॉनोमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है कि सब्सिडी मुख्यत: सरकार के रेवेन्यू प्रोजेक्शन पर ही निर्भर करेगी. लेकिन खाद्य और उवर्रक सब्सिडी में ज्यादा कटौती होने की उम्मीद कम ही है क्योंकि सरकार के राजनीतिक वादे वित्तीय स्थिति पर भारी पड़ेंगे.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी में चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने का कहना है कि इस साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 1.47 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत में से, 90,000 करोड़ रुपये पहले भी खर्च किए जा चुके हैं. इसका मतलब है कि खाद्य सब्सिडी में अतिरिक्त आवंटन 60,000 करोड़ रुपये होगा.