छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद ही बुलाया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने खुद इसके संकेत दिए हैं। हालांकि उन्होंने सत्र का समय खिसकाने में कोरोना संक्रमण की भी भूमिका बताई है।
स्वामी विवेकानंद जयंती पर विधानसभा पहुंचे अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, अक्सर बजट सत्र फरवरी में बुला लेते थे। अभी मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री से इस बारे में चर्चा हुई है। सभी इस बात से सहमत हैं कि इस बार जितना देर हम टाल सकते हैं, टालें। जब तक कोरोना से थोड़ी मुक्ति दिखाई न दे तब तक हम अपने विधायकों को, विधानसभा के कर्मचारियों और अधिकारियों को संकट में नहीं डालना चाहते। ऐसा लगता है कि हम फरवरी तक इसे नहीं कर पाएंगे। ऐसा मार्च में ही संभव दिखता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, यहां के बहुत से विधायक चुनाव में जाना चाहते हैं। कुछ गए हुए हैं। उसको भी देखते हुए उनकी वापसी और कोरोना के वापस जाने का इंतजार किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। वहां 14 जनवरी से 10 मार्च तक सात चरणों में चुनाव हो रहें हैं।
बड़ी संख्या में नेताओं को यूपी की जिम्मेदारी
कांग्रेस में करीब 22 विधायकों और पूर्व विधायकों को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भेजा जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी के नेतृत्व में 50 नेताओं-कार्यकर्ताओं की एक टीम पहले से ही उत्तर प्रदेश में संगठन को प्रशिक्षित कर रही है। भाजपा की ओर से भी कुछ विधायकाें और सांसदों के उत्तर प्रदेश चुनाव में जाने की चर्चा है। राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी भी दी है।
अधिकतर फरवरी में ही बुलाया जाता है विधानसभा सत्र
पिछले कई बार से विधानसभा का बजट सत्र फरवरी में ही बुलाया जाता रहा है। मौजूदा सरकार में 2021 का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू हुआ था। 2020 का बजट सत्र 25 फरवरी से 26 मार्च तक चला। दिसम्बर 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद जनवरी 2019 में पहला सत्र आयोजित हुआ। बाद में 8 फरवरी से बजट सत्र की वास्तविक शुरूआत हुई। दोनों बैठकों को आधिकारिक रूप से एक ही सत्र कहा गया। यह सत्र एक मार्च तक चला। पिछली सरकार में भी कुछ अपवादों काे छोड़कर फरवरी-मार्च में ही सत्र बुलाए जाते रहे हैं।