हिंदुस्तान के सियासी मिजाज में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) की गर्मी चढ़ती जा रही है और कांग्रेस पार्टी (Congress) की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला हरीश रावत (Harish Rawat) का है, जिन्होंने बुधवार की शाम को ट्वीट करके कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व और पार्टी संगठन के प्रति नाखुशी और नाराजगी जाहिर की, लेकिन ठीक 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि हरीश रावत का मूड बदल गया और वे आराम करने के बजाय चुनाव जीतने और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को प्रधानमंत्री बनाने की बात करने लगे. हरीश रावत (Harish Rawat) अकेले ऐसे नेता नहीं हैं… उनसे पहले सचिन पायलट (Sachin Pilot) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के मसले और शिकायतों का सीधा और स्पष्ट हल किया गया था और इन सबके पीछे एक नाम बार-बार उभरकर सामने आता है और वो कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी का… जिन्होंने पिछले कुछ महीनों से बार-बार ये साबित किया है कि वे कांग्रेस की संकटमोचक बन गई हैं. चाहे वह अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच तनाव के दरम्यान कैबिनेट विस्तार का मसला हो या फिर पंजाब में अमरिंदर सिंह के बजाय नवजोत सिंह सिद्धू का समर्थन करके बाजी को पलट देना… इन सबके पीछे कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) एक मजबूत पिलर की तरह खड़ी रहीं. पढ़िए उन 5 मौकों के बारे में जो प्रियंका गांधी को कांग्रेस का संकटमोचक साबित करते हैं.