Home विदेश चीन की इस नई पॉलिसी से मजदूरों को फायदा, अर्थव्यवस्था होगा नुकसान

चीन की इस नई पॉलिसी से मजदूरों को फायदा, अर्थव्यवस्था होगा नुकसान

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (China President Xi Jinping) के ‘साझा समृद्धि’ के विचार का देश के अलग-अलग प्रांतों में गहरा असर देखने को मिल रहा है. चीन सरकार न्यूनतम मजदूरी (Minimum Wages) बढ़ाने का खास अभियान चला रही है. हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने से श्रम लागत बढ़ेगी, जिसकी वजह से कंपनियों के उत्पाद महंगे हो जाएंगे.

वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 31 प्रांत स्तरीय क्षेत्रों में से 20 में इस साल न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जा चुकी है. आर्थिक रूप से चीन का सबसे बड़ा प्रांत ग्वांगदोंग है. वहां इस हफ्ते न्यूनतम मजदूरी 1,620 युवान से 2,360 युवान तक तय करने का ऐलान किया गया. इसके पहले वहां न्यूनतम मजदूरी 1,410 से 2,200 युवान तक थी. जुलाई 2018 के बाद पहली बार इस प्रांत में न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की गई है.

चीनी प्रांतों में किसी प्रांत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग न्यूनतम मजदूरी लागू होती है, लेकिन कुल मिला कर न्यूनतम मजदूरी में शेनझेन प्रांत में 7.3 प्रतिशत और ग्वांगझाऊ प्रांत में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिन कंपनियों को न्यूनतम मजदूरी बढ़ानी पड़ी है, उनमें टोयोटा मोटर, होंडा मोटर, निशान मोटर आदि जैसी विदेशी कंपनियां भी हैं. इन कंपनियों को सफाई और खाद्य सप्लाई आदि जैसी सेवाएं देने वाले ठेकदारों को भी अपने कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ानी पड़ी है.

विश्लेषकों का कहना है कि शी जिनपिंग के इस नए विचार से सबसे ज्यादा फायदा विस्थापित मजदूरों को होगा. इसकी वजह यह है कि फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों को काफी मात्रा में ओवरटाइम का काम मिलता है. इस दौरान उन्हें ज्यादा आमदनी हो जाती है, लेकिन विस्थापित मजदूरों के पास आमदनी बढ़ाने का ऐसा जरिया नहीं होता. देश में ऐसे मजदूरों की संख्या 30 करोड़ है