बलौदाबाजार-भाटापारा। राघवेन्द्र सिंह “मेरूवाणी डाॅट इन”…
आज पूरे देश में दो दिसंबर को राष्ट्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में मना रहे हैं, लेकिन बलौदाबाजार-भाटापारा जिला के किसान, मजदूर, व्यवसायिक, औद्योगिक परिसर के रूप में कार्य कर रहे लोग अपनें ही जिले को प्रदूषण से नहीं बचा पा रहे हैं और ना ही किसी प्रकार का पर्यावरण को प्रदूषित करनें के नियंत्रण के रूप में सोच रहे हैं, लिहाजा आज हर जगह गाड़ी, मोटर, बस, ट्रक, फैक्ट्री सभी से निकलनें वाले धुंए, गर्दे, डस्ट, राखड़, कोयले की कण, धूल जैसे कई प्रकार की सूक्ष्म कण भी जो कई कार्यों से लिप्त होकर निकलते हैं, वह वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, और आज यह बलौदाबाजार भाटापारा जिला धीरे-धीरे प्रदूषित पर्यावरण बलौदा बाजार भाटापारा जिला कहलानें योग्य दिखाई देनें वाला है, अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तब की स्थिति में तो कुछ अलग बदलाव हो सकता है, मगर आज किसान खेत में पराली जला रहा है, जिससे निकलनें वाले धुंए जो वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, बस, ट्रक और बड़ी-बड़ी गाड़ियां जो रोड में चल रही है, उनके निकलनें वाले धुएं और वह भी बहुत ज्यादा मात्रा में धुएं जिनसे भी वातावरण प्रदूषित हो रहा है, कई जगह रोड और कई तरह के निर्माण कार्य भी चल रहे हैं, जिसमें पानी समय पर नहीं डालनें से भी गाड़ी-घोड़ा के आनें-जानें से निकलनें वाले, उड़नें वाले धूल कंकड़ वह भी वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, और बलौदाबाजार भाटापारा जिला में तो सीमेंट प्लांट भी है, जिससे निकलनें वाले रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ के धुंए जिनसे भी वातावरण प्रदूषित हो रहा है, जिससे ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे बलौदा बाजार भाटापारा जिला प्रदूषित बलौदा बाजार भाटापारा जिला कहनें योग्य बन जाएगा, क्योंकि अभी तक इन सभी के लिए कोई उचित व्यवस्था, नियम निर्देश या किसी भी प्रकार का प्रशासन को या फिर भी लगातार पर्यावरण विभाग से जो पर्यावरण के लिए गाड़ी, मोटर या कई सारे संसाधनों, साधनों से जो टैक्स लगता है तो क्या उन्हें रोकथाम के लिए भी किसी प्रकार की विधिवत कार्यवाही या उचित नियम कायदे कानून जैसी प्रक्रिया पारित नहीं की जाती।
✍खबर अभी बाकी है, वह अगले अंक में प्रकाशित की जाएगी…

