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असम राइफल्स पर हुए हमले की जांच करेगी NIA, गृह मंत्रालय ने दिया ग्रीन सिग्नल

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असम राइफल्स (Assam Rifles) के अधिकारी और जवानों पर हुए हमले (Asam rifle Ambush case) की जांच अबकेंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) करेगी. पूरे मामले की तहकीकात के लिए गृह मंत्रालय ने एनआईए को ग्रीन सिग्‍नल दे दिया है. एनआईए के सूत्रों के मुताबिक एक सप्ताह पहले केंद्रीय जांच एजेंसी के मुख्यालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) को एक खत लिखा गया था और इस मामले की तफ़्तीश करने के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई थी. दरअसल ये मामला 44 असम राइफल्स के अधिकारी और उनके जवानों पर हमले से संबंधित है.

एनआईए के सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द ही छत्तीसगढ़ के रायगढ़ मूल के रहने वाले शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी, आठ साल के बेटे आशीष समेत कुल शहीद पांच जवानों की हत्या के मामले की तफ्तीश के लिए जल्द ही टीम का गठन किया जाएगा. उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी अपनी तफ़्तीश को आगे बढ़ाएंगी.

गौरतलब है कि 13 नवंबर को मणिपुर से सटे चूराचांदपुर जिले में अपने परिवार के साथ लौट रहे कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनके साथ चल रहे अन्य जवानों के काफिले पर उग्रवादियों ने हमला कर दिया था. काफिले को रोकने के लिए पहले IED ब्लास्ट किया गया, उसके बाद फायरिंग की गई. इस हमले की जिम्‍मेदारी उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट (PMNPF) ने ली है.

इन सवालों का पता लगाने की कोशिश करेगी NIA
— तफ्तीश के दौरान दोनों ही उग्रवादी संगठनों की साजिश और हत्या करने के इरादों से संबंधित मसले की जांच की जाएगी और ये पता लगाने की कोशिश होगी कि इस हमले में कौन -कौन से वो शामिल थे?
— ये भी पता लगाने की कोशिश होगी कि किन लोगों ने इस हमले को अंजाम देने में आतंकवादियों की मदद की.
— एनआईए की टीम पता लगाएगी कि उग्रवादियों के पास इस घटना से जुड़ी सटीक जानकारी कैसे थी कि कर्नल के वाहन कितने बजे निकलेंगे और किन रास्‍तों से होकर गुजरेंगे? किस तरह से इस मामले की रेकी की गई ?
— कहीं कोई सरकारी मुलाजिम या कोई स्थानीय लोग इस मामले में खबरी तो नहीं था?

उग्रवादियों के खिलाफ कर्नल विप्लव ने चलाया था अभियान
शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी इसी साल जुलाई महीने में मिजोरम के बाद मणिपुर में तैनात हुए थे. इससे पहले जब वो अपने बटालियन के साथ मिजोरम में तैनात थे तब उन्‍होंने कई सराहनीय कार्य किए थे और युवाओं को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया. जो किसी कारण से उग्रवादियों के संगठन से जुड़ गए थे. इस उल्लेखनीय कार्यों हेतु मिजोरम के गवर्नर के हाथों उन्हें सम्मानित भी किया गया था.