प्रमोद भगत (पैरा बैडमिंटन), मिताली राज (क्रिकेट), सुनील छेत्री (फुटबॉल), मनप्रीत सिंह (हॉकी) मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित
केरल के पीआर श्रीजेश को वर्ल्ड हॉकी में सबसे बेहतरीन गोलकीपर में माने जाते हैं. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद हॉकी में पदक जीता था. भारत की इस जीत में गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने अहम भूमिका निभाई थी. साल 2006 में डेब्यू करने के बाद से ही वह भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे हैं. 15 साल के अपने करियर में वह देश के लिए 200 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं. वह साल 2017 के गोल्ड मेडल विजेता, एशियन गेम्स की ब्रॉन्ज मेडल और साल 2016 में चैंपियंस ट्रॉपी की सिल्वर मेडल विजेता टीम का हिस्सा रहे हैं. श्रीजेश को साल 2015 में अर्जुन अवॉर्ड और साल 2017 में पद्म श्री अवॉर्ड दिया जा चुका है.
मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. टोक्यो ओलंपिक (Tokyo 2020) में भारत की तरफ से मुक्केबाजी में सिर्फ लवलीना ही पदक जीतने में कामयाब रहीं.
टोक्यो पैरालंपिक में भारत के सुमित अंतिल ने पुरुषों की भाला फेंक (स्पोर्ट क्लास F64) में सोने का तमगा हासिल किया था. सुमित ने फाइनल में 68.55 मीटर के एतिहासिक थ्रो के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
19 साल की अवनि लेखरा (Avani Lekhara) ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीत इतिहास रचा था. अवनि महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच1 में तीसरे स्थान पर रहीं. वहीं 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में गोल्ड मेडल जीता था. जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज ओलंपिक या पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. उनकी रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गयी थी. अवनि को उनके पिता ने खेलों में जाने के लिये प्रेरित किया. उन्होंने पहले निशानेबाजी और तीरंदाजी दोनों खेलों में हाथ आजमाये. उन्हें निशानेबाजी अच्छी लगी. उन्हें बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की किताब पढ़कर भी प्रेरणा मिली. उन्होंने 2015 में जयपुर के जगतपुरा खेल परिसर में निशानेबाजी शुरू की थी. कानून की छात्रा अवनि ने संयुक्त अरब अमीरात में विश्व कप 2017 में भारत की तरफ से डेब्यू किया था.