भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि आरबीआई गैर-व्यवधानकारी तरीके (Non Disruptive Manner) से खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) को 4 फीसदी के स्तर पर वापस लाने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. इस महीने की शुरूआत में मॉनेटरी पॉलिसी समीक्षा बैठक में नीतिगत दर बरकरार रखने के लिए मतदान करते हुए उन्होंने ये बात कही थी. आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली.
सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया है. खुदरा मुद्रास्फीति मई और जून में छह फीसदी से ऊपर थी, हालांकि यह सितंबर में घटकर 4.35 फीसदी पर आ गई.
6 से 8 अक्टूबर के बीच हुई थी MPC की बैठक
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 6 से 8 अक्टूबर के बीच हुई थी. बैठक के ब्योरे के मुताबिक दास ने कहा कि अगस्त 2021 की बैठक में समिति को लगातार दूसरे महीने सकल मुद्रास्फीति (Headline Inflation) के संतोषजनक सीमा से अधिक रहने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त के दौरान मुद्रास्फीति में नरमी आने से एमपीसी का दृष्टिकोण और मौद्रिक नीति का रुख सही साबित हुआ.
खाद्य मुद्रास्फीति में कमी
खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी के कारण इस साल जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति में तुलनात्मक रूप से नरमी रही. दास ने कहा कि यदि बेमौसम बारिश नहीं होती है, तो रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन, पर्याप्त खाद्य भंडार, आपूर्ति-पक्ष उपायों और अनुकूल आधार प्रभावों के चलते खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते परिवहन लागत को लेकर जोखिम बना हुआ है.