सेंवार, बिलासपुर। संजय मिश्रा “मेरूवाणी डाॅट इन”…
छत्तीसगढ़ प्रदेश के न्यायधानी बिलासपुर क्षेत्र अंतर्गत जनपद पंचायत बिल्हा के ग्राम पंचायत सेंवार में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थिती अत्यंत ही खराब है, यहाँ पर पढ़नें वाले छात्र छात्राओं के लिए पीनें का पानी, बैठनें की उचित व्यवस्था, खेल का मैदान, महिला एवं पुरुष प्रसाधन तथा अन्य मूल भूत सुविधाओं का नामों निशान तक नहीं है, मध्यान्ह भोजन कक्ष में बिना किसी कोविड गाईडलाइन के व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है, कोविड काल के बाद स्कूल को खुले तकरीबन ढ़ाई माह बीत गए है लेकिन यहाँ पर देश के भविष्य गढ़नें वालों के तरफ किसी भी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं लग पा रहा है, यहाँ की भवनें भी काफी जर्जर हो गई है तथा कभी भी कोई अनहोनी घटना घटित होनें की पूर्ण रूप से संभावना बनी हुई है।
हमारे यहाँ सदियों पहले से गुरू को ब्रम्हा, विष्णु, महेश सहित साक्षात परमब्रह्म की उपाधि दी गई है, लेकिन यहाँ पर उस गुरू शब्द की परिभाषा को ही यहाँ के प्रधान पाठक संजय टेगर के द्वारा तार-तार किया जा रहा है, ग्राम वासियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह महाशय प्रतिदिन शराब के नशे में सुबह से ही धुत्त होकर विद्यालय पहुंचते है, इनके द्वारा स्कूटी चलानें के लिए एक स्पेशल ड्राइवर भी रखा गया है कि नशे की हालत में कहीं गिर ना जाए, प्रति वर्ष विभाग की ओर से स्कूल के रखरखाव के लिए लाखों रूपए इनके खाते में आते हैं लेकिन स्कूल की स्थिती बद से बदतर बनीं हुई है।
अब जरा आप स्वयं विचार कीजिए कि जो व्यक्ति आदतन शराबी हो और प्रतिदिन सुबह से ही शराब के नशे में धुत्त रहे उसके द्वारा छात्र छात्राओं को किस प्रकार की शिक्षा मिल पाएगी।
उक्त शराबी शिक्षक नें हमें बताया कि उनका अभी पदोन्नत होनें वाला है, तब हमें पता चला कि वाकई में बिलासपुर जिला शिक्षा विभाग इनके उपर मेहरबान है।
क्या शिक्षा विभाग बिलासपुर के उच्च पदों में विराजमान महानुभाव लोगों की कोई जवाबदारी नहीं बनती कि विभागीय बदलाव पूर्ण रूप से जांच पड़ताल करके किया जाना चाहिए,
छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को बेहतर बनानें के लिए लगातार विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इन चंद मुफ्त खोर व्यक्तियों के द्वारा इस प्रकार का हरकत समझ से परे है।
बहरहाल इस खबर के प्रसारण उपरांत अब देखनें वाली बात यह होगी कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी उपरोक्त बातों को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई की ओर अग्रसर होते हैं या फिर यहाँ भी लेन-देन करके मामला को दबा दिया जाएगा।





