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स्कूल शिक्षा विभाग सागर में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा का एक और अजब-गजब मामला हुआ उजागर…

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देवरी, सागर मध्यप्रदेश। मेरूवाणी डाॅट इन…

✍…सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की मूल भावना…

“लोकतंत्र में शिक्षित नागरिक वर्ग ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकनें के लिए भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनानें के लिए अनिवार्य है” जिसके तहत माननीय सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी द्वारा आदेश ए-2660/2020 दिनांक 27. 08.2021 लोक सूचना अधिकारी तथा बी.आर.सी. जनपद शिक्षा केन्द्र राहतगढ़ तथा जिला शिक्षा अधिकारी जिला सागर को आदेश जारी किया है कि जिला शिक्षा अधिकारी जिला सागर अपीलार्थी गिरवर सिंह ठाकुर का जो आवेदन अंतरण से प्राप्त हुआ है, उससे संबंधित जो भी दस्तावेज संधारित है, इस आदेश प्राप्ति के 1 माह के भीतर निःशुल्क दे दिए जाएं।

मूल आवेदन अंतरित होकर उनके कार्यालय में आनें के बाद सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक के प्रति उत्तर दायित्व उन्हीं का है, इस विलंब के लिए वे प्रथम दृष्ट्या दोषी भी हैं।

आदेश के अनुसार एक की माह समयावधि भी समाप्त होनें के बावजूद भी अपीलार्थी को आज दिनांक तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है, तथा माननीय राज्य सूचना आयोग के उक्त आदेश की अवमानना की जाकर भ्रष्ट आचरण के द्वारा भ्रष्टाचारियों को संरक्षित एवं सुरक्षित करनें का अजब खेला चल रहा है और अवैधानिक प्रयास किया जा रहा है।

इस प्रकार 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 16 साल बीतनें के बावजूद भी जमीनी स्तर पर पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है, जिससे इस लोक कल्याणकारी संवैधानिक अधिनियम का जनता को प्राप्त नहीं हो रहा है, लाभ जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगनें की बजाय चरम पर पहुंच रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भोगना पड़ता है।

इसलिए लोक हित में इस कल्याणकारी कानून को और शक्त करने की जन आवश्यकता है, माननीय मध्यप्रदेश सूचना आयोग इस ओर ध्यान दे, तथा अधिक से अधिक लोगों को इस कानून के तहत जानकारी उपलब्ध कराने में मानवीय सहयोग प्रदान करे, तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगानें में कारगर साबित हो।