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“मेरूवाणी” प्रिंट मीडिया एवं न्यूज पोर्टल की दो अक्टूबर के खास अवसर पर खास रिपोर्ट, जानिए आज का इतिहास…

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दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के अलावा लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी मनाई जाती है, लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे, शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था, 2 अक्टूबर के दिन स्कूल, कॉलेजों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है।

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर उत्तर प्रदेश में मुगलसराय शहर के पास रामनगर में हुआ था। नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी ने अपने जीवन में कई ऐसे कार्य किए जिससे आज सभी लोग प्रेरणा लेते हैं। शास्त्री जी के ईमानदारी और सादगी-पूर्ण जीवन के अनेक किस्से है। 2 अक्टूबर 2021 को लाल बहादुर शास्त्री की 117वीं जयंती मनाई जा रही है। जबकि महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जा रही है। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी दोनों ने ही देश के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। ऐसे में सभी को लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ बातों को जरूर जानना चाहिए, ताकि हम उनके जीवन में मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें। आइये जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी पांच बड़ी घटनाएं…

01. जब शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे, एक बार उनके बेटे सुनील शास्त्री जी ने रात कही जाने हेतु सरकारी गाड़ी लेकर चले गए और जब वापस आए तो लाल बहादुर शास्त्री जी ने पूछा कहा गए थे, सरकारी गाड़ी लेकर इस पर सुनील जी कुछ कह पाते की इससे पहले लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा कि सरकारी गाड़ी देश के प्रधानमंत्री को मिली है ना की उसके बेटे को, आगे से कही जाना हो तो सरकारी गाड़ी का प्रयोग ना किया करो, शास्त्री जी यही नहीं रुके उन्होंने अपने ड्राइवर से पता करवाया की गाड़ी कितने किलोमीटर चली है और उसका पैसा सरकारी राज कोष में भी जमा करवाया। हमारे देश में आजकल जन प्रतिनिधियों के परिजनों के साथ उनके करीबी लोग भी उन्ही के सरकारी गाड़ी में घूमते हैं अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए।
02. लाला लाजपतराय ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे गरीब देशभक्तों के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी बनायीं थी जो गरीब देशभक्तों को पचास रुपये की आर्थिक मदद प्रदान करती थी, एक बार जेल से उन्होंने अपनी पत्नी ललिता जी को पत्र लिखकर पूछा कि क्या सोसाइटी की तरफ से जो 50 रुपये की आर्थिक मदद मिलती हैं उन्हें, जवाब में ललिता जी ने कहा हाँ जिसमे से 40 रुपये में घर का खर्च चल जाता है। शास्त्री जी ये पता चलते ही बिना किसी देर किये सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी को पत्र लिखा कि मेरे घर का खर्च 40 रुपये में हो जाता हैं, कृपया मुझे दी जानी वाली सहयोग 50 रुपये से घटा कर 40 रुपये कर दी जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा देशभक्तों को भी आर्थिक सहयोग मिल सकें। आज का युग में तो यदि जन प्रतिनिधियों के सैलरी बढ़ोत्तरी की बात हो तो क्या सत्ता पक्ष, क्या विपक्ष दोनों एक मत हो इस मांग पर अपना समर्थन दे देते हैं, भले ही राष्ट्रहित और समाज हित के मुद्दों पर ये लड़ते देखे जाए। ये भी नहीं सोचते आज के वर्तमान जनप्रतिनिधि की वह तो सरकारी पैसे से मौज से जी रहे है और देश का किसान, मज़दूर इत्यादि गरीबी, महंगाई और अभाव की जिंदगी जी रहे हैं।
03. शास्त्री जी जब प्रधानमंत्री थे और उन्हें मीटिंग के लिए कही जाना था। जब वह कपड़े पहन रहे थे तो उनका कुर्ता फटा था जिसपर परिजनों ने कहा आप नया कपड़ा क्यों नहीं ले लेते हैं। इस पर पलट कर शास्त्री ने कहा की मेरे देश के अब भी लाखों लोगो के तन पर कपड़े नहीं है, फटा हुआ तो क्या हुआ इसके ऊपर कोट पहन लूंगा, और फटा कपड़ा इस तरह कुछ दिन और काम में आ जायेगा। ऐसे थे हमारे शास्त्री जी, आज के जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों के सुट लाखों में आते हैं इन्हे इससे फर्क नहीं पड़ता की देश के लाखों लोगो की वार्षिक आय भी नहीं होगी लाखों रुपये।
04. बात सन 1965 का जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था और भारतीय सेना लाहौर के हवाई अड्डे पर हमला करने की सीमा के भीतर पहुंच गयी थी। घबराकर अमेरिका ने अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिए कुछ समय के लिए युद्धविराम की अपील की उस समय हम अमेरिका की पीएल-480 स्कीम के तहत हासिल लाल गेहूं खाने को बाध्य थे हम भारतीय। अमेरिका के राष्ट्रपति ने शास्त्री जी को कहा कि अगर युद्ध नहीं रुका तो गेहूं का निर्यात बंद कर दिया जाएगा। उसके बाद अक्टूबर 1965 में दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में शास्त्री जी ने देश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की और साथ में खुद भी एक दिन उपवास का पालन करने का प्रण लिया। देश के सीमा के रक्षक जवान और देश के अंदर अन्नदाता के लिए जय जवान, जय किसान का नारा दिया।
05. 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में भारत के प्रधानमंत्री शास्त्री जी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच बातचीत करने का समय निर्धारित थी। लाल बहादुर शास्त्री और अयूब खान तय किये गये निर्धारित समय पर मिले। बातचीत काफी लंबी चली और दोनों देशों के बीच शांति समझौता भी हो गया। ऐसे में दोनों मुल्कों के शीर्ष नेताओं और प्रतिनिधि मंडल में शामिल अधिकारियों का खुश होना उचित था। लेकिन उस दिन की रात शास्त्री जी के लिए मौत बनकर आई। 10-11 जनवरी के रात में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितों में मौत हुई। ताशकंद समझौते के कुछ घंटों बाद ही भारत के लिए सब कुछ बदल गया। विदेशी धरती पर संदिग्ध परिस्थितियों में भारतीय प्रधानमंत्री की मौत से सन्नाटा छा गया। शास्त्री जी की मौत के बाद तमाम सवाल खड़े हुए, उनकी मौत के पीछे साज़िश की बात भी कही जाती है, क्योंकि, शास्त्री जी की मौत के दो अहम गवाह उनके निजी चिकित्सक आर एन चुग और घरेलू सहायक राम नाथ की सड़क दुर्घटनाओं में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई तो यह रहस्य और गहरा हो गया। देश के नागरिकों को चाहिए की शास्त्री जी के मौत की निष्पक्ष जांच की मांग करें सरकार से, यही शास्त्री जी के प्रति देश वासियों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

भारत के इतिहास में दो अक्टूबर के दिन का एक खास महत्व है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह दो अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है. यह दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 को हुआ था और उनके कार्यों एवं विचारों ने देश की स्वतंत्रता और इसके बाद आजाद भारत को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दो अक्टूबर 1904 को हुआ था. उनकी सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे. 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान दिया गया ‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा आज के परिप्रेक्ष्य में भी सटीक और सार्थक है. देश दुनिया के इतिहास में दो अक्टूबर की तारीख में दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
✍…1836 : प्रकृतिविद् चार्ल्स डारविन अपने अध्ययन से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री एकत्र करके पांच बरस की यात्रा के बाद इंग्लैंड वापस आए.
✍…1869 : मोहनदास करमचंद गांधी का गुजरात के पोरबंदर में जन्म . देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस संत ने अपनी नि:स्वार्थ भावना और हथियार उठाए बिना अंग्रेजों को देश से खदेड़ बाहर किया और ‘महात्मा’ कहलाए.
✍…1904 : लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन. एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही वह अपनी सादगी और जय जवान जय किसान के नारे के साथ जन जन में लोकप्रिय हुए. 1965 के भारत पाक युद्ध के समय उन्होंने साहसिक निर्णय लेकर दुश्मन को मात दी.
✍…1906 : राजा रवि वर्मा का निधन.
✍…1929 : गांधी जी ने नवजीवन कार्यालय को एक सार्वजनिक न्यास बनाया.
✍…1951 : श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जन संघ की स्थापना की.
✍…1952 : सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरूआत.
✍…1955 : मद्रास के पेरंबूर में इंटिग्रल कोच फैक्टरी ने रेल का पहला डिब्बा बनाया.
✍…1961 : बम्बई में शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना.
✍…1968 : मैक्सिको सिटी में होने वाले ओलंपिक खेल शुरू होने से पहले छात्रों का खूनी आंदोलन. पुलिस के साथ संघर्ष में 25 की मौत.
✍…1968 : ब्रिटेन की एक महिला ने एक साथ छह बच्चों को जन्म दिया. देश के इतिहास में पहली बार बर्मिंघम की शीला थोर्न्स ने गर्भ की निर्धारित अवधि से दो महीने पहले आपरेशन के जरिए चार लड़कों और दो लड़कियों को जन्म दिया.
✍…1971 : बिरला सदन को भारत के राष्ट्रपति ने देश को समर्पित किया. महात्मा गांधी की हत्या इसी भवन में की गई थी और इसका नाम बदलकर गांधी सदन कर दिया गया.
✍…1985 : दहेज निषेध संशोधन अधिनियम लागू.
✍…1988 : मंडपम और पंबन को जोड़ने वाले समुद्र के ऊपर बने उस समय के सबसे बड़े सड़क पुल को यातायात के लिए खोला गया.
✍…2000 : भारत और रूस के बीच पुराने दोस्ताना संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ते हुए रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन चार दिन की यात्रा पर दिल्ली पहुँचे.
✍…2001 : 19 देशों के संगठन नाटो ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमले के लिए हरी झंडी दी.
✍…2006 : परमाणु ईधन आपूर्ति मामले में दक्षिण अफ़्रीका ने भारत को समर्थन देने का फैसला किया।