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नगर पंचायत बिल्हा क्षेत्र का हाल बेहाल, मूलभूत सुविधाओं का नामोनिशान नहीं, जिम्मेदार अधिकारियों और हाई-प्रोफाइल जन प्रतिनिधियों की लापरवाही से जनता परेशान…

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बिल्हा, बिलासपुर। मेरूवाणी डाॅट इन…

छत्तीसगढ़ प्रदेश के न्यायधानी बिलासपुर क्षेत्र अंतर्गत पूर्व में एशिया का सबसे बड़ा विकासखण्ड कहलानें वाला स्थान नगर पंचायत बिल्हा इन दिनों जिम्मेदार अधिकारियों और क्षेत्र के हाई-प्रोफाइल जन प्रतिनिधियों की लापरवाही का मार झेल रहा है, जिसके कारण क्षेत्र के बेबस जनता काफी परेशान, हतोत्साहित और लाचार है,

नगर पंचायत बिल्हा के वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी दो-तीन नगर पंचायत के प्रभार पर हैं, एक व्यक्ति से एक जगह का व्यवस्था तो सम्हाला नहीं जाता लेकिन यहाँ पर पता नहीं क्यों ऐसा व्यवस्था बनाया गया है यह बात हमारे समझ से परे है, यहाँ पर कुल पंद्रह वार्ड है और सभी वार्डों में कीचड़, गंदगी, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, बिजली की समस्या, पानी की समस्या यहाँ तक कि नगर पंचायत बिल्हा का परिसर भी इतनी दयनीय स्थिति में है, कि जितनी भी तारीफ किया जाए, कम ही होगा।
इन सब अव्यवस्थाओं पर जिम्मेदार अधिकारियों और क्षेत्र के हाई-प्रोफाइल जन प्रतिनिधियों की लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है, क्षेत्र के बेबस, लाचार जनता इनकी लापरवाहियों का खामियाजा भुगतनें के लिए बेवजह मजबूर हैं।

बिल्हा नगर पंचायत के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में जानें वाले रास्ते पर रेल्वे लाईन बिछी हुई है, रेल्वे लाईन को पार करनें के लिए लोगों को रेल्वे फाटक या पैदल पुल का सहारा लेना पड़ता है, जहाँ पर यदि रेल्वे फाटक का सहारा लें तो फाटक खुलनें के लिए काफी इन्तजार करना पड़ता है, और वह इन्तजार भी ऐसा इन्तजार है कि इमरजेंसी वालों की जान ही निकल जाए, दूसरी ओर पुल के रास्ते में दो से तीन फीट तक सड़ा हुआ गंदी नाली का अत्यंत बदबूदार पानी भरा रहता है, जिसके कारण लोगों को काफी असहनीय परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नगर पंचायत बिल्हा क्षेत्र अंतर्गत आनें वाले तालाबों, सामुदायिक भवनों, मुक्तिधाम, सुलभ-सौचालय, बस स्टैंड, साप्ताहिक एवं दैनिक बाजार, स्टेडियम और खेल का मैदान, इन सभी जगहों का अंधेर नगरी और चौपट राजा जैसा हाल है…
शेष अगले अंक में…
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इस खबर के प्रसारण उपरांत अब देखनें वाली बात यह होगी कि नगर पंचायत बिल्हा क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों और हाई-प्रोफाइल जनप्रतिनिधियों की क्या प्रतिक्रिया देखनें को मिलती है, उपरोक्त जनता की समस्याओं को संज्ञान में लेते हैं या फिर अंधेर नगरी और चौपट राजा वाली कहानी चरितार्थ होती है।