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“रागी की खेती में धान से ज्यादा हुआ फायदा” गौ वंश आधारित प्राकृतिक खाद का किया उपयोग, दस किलो बीज से एक हेक्टेयर में ली अट्ठाइस क्विंटल उपज, बत्तीस रुपये प्रति किलो की दर से हुई विक्रय…

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नवागढ़, बेमेतरा 17 सितम्बर 2021। मेरूवाणी डाॅट इन…

परम्परागत खेती करते आए नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत नें अपनें एक हेक्टेयर खेत में रागी की फसल लगाकर धान से दुगुना फायदा कमाया है, इसको देखकर किसान किशोर राजपूत काफी उत्साहित है और कहते है कि उन्होंने पहली बार रागी की खेती की। जिससे उन्हें 86 हजार 400 रुपये की शुद्ध आय मिली, जो इतनी ही भूमि पर धान लगाने पर लगभग 37 हजार 990 रुपये का लाभ मिलता है, इस लिहाज से रागी की फसल से ग्रीष्म कालीन धान से दुगुना रागी की खेती से मिले फायदे से अब आगे वे सत्र 2022 में भी रागी लगाएंगे।

नगर पंचायत नवागढ़ के किशोर राजपूत बताते है कि पहले खरीफ में धान की फसल तथा रबी में सिंचित क्षेत्र के एक हेक्टेयर में गेहूं की फसल उगाते रहे है। गत वर्ष उन्हें गेहूं की 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हुआ था। जिसको बाजार में 1600 रुपये की दर से बिक्री किया।

रागी उत्पादन के लिए उन्होंने दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह से खेत की तैयारी शुरू कर दी। नर्सरी की तैयारी के लिये एक मीटर चौड़ा, 7.5 मीटर लम्बा तथा 4 इंच ऊंचा बेड तैयार किया गया। नर्सरी में एक क्विंटल वर्मी कम्पोस्टर एवं 10 क्विंटल गोबर की खाद का उपयोग किया। रोपाई पूर्व खाद के रूप में खेत में दो ट्रोली गोबर की खाद एवं 3 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया गया। कतार से कतार की दूरी 25 से.मी. एवं पौध से पौध की दूरी 10 से.मी. रखने का निर्णय लिया गया। रोपाई का कार्य नर्सरी से पौधा उखाडऩे के तत्काल बाद किया गया। रोपाई के 25 दिन बाद एक बार निदाई कराया इससे निंदा नियंत्रण से हो गया और रागी के पौधों में थोड़ा-थोड़ा मिट्टी चढ़ाई भी हो गया। सिंचाई की आवश्यकतानुसार नियमित किया गया। धान गेहूं या अन्य रबी फसल के अपेक्षा सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ी तथा रासायनिक उर्वरक एवं पौध संरक्षण कार्य में रासायनिक दवाओं का उपयोग करना नहीं पड़ा। तना छेदक कीट नियंत्रण के लिये एक लीटर एजाडिरेक्टीन 1500 पीपीएम (नीम का तेल) का स्प्रे किया इससे काफी हद तक कीट नियंत्रण हो गया, रागी का कटाई करने पर प्रति हेक्टेयर 28 क्विंटल उपज प्राप्त हुआ, 32 रुपये किलो की दर से बिक्री किया गया जिससे उन्हें 86 हजार 400 रुपये की शुद्ध आय मिली, जो इतनी ही भूमि पर ग्रीष्म कालीन धान लगाने पर लगभग 37 हजार 990 रुपये और गेहूं लगाने पर 22 हजार रुपये का लाभ मिलता है। इस लिहाज से रागी की फसल से ग्रीष्म कालीन धान से दुगुना और गेहूं की फसल से तिगुना लाभ मिला है।

युवा किसान किशोर राजपूत ने अन्य किसानों को आग्रह किया कि वे भी कम लागत में अधिक मुनाफा देनें वाली रागी फसल को लगायें, स्वयं पौष्टिक अन्न खायें तथा बिक्री कर अधिक लाभ कमायें।