केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन और केंद्र सरकार पर हमले कर रही कांग्रेस (Congress) की किसान इकाई का अध्यक्ष पद पिछले 21 महीनों से खाली पड़ा है और करीब छह महीनों से इसकी गतिविधियां भी ठप्प हैं. हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में विभिन्न स्तरों पर बदलाव एवं नियुक्तियों का सिलसिला चल रहा है और ‘अखिल भारतीय किसान कांग्रेस’ के अध्यक्ष की नियुक्ति भी जल्द होने की उम्मीद है. नाना पटोले के दिसंबर, 2019 में इस्तीफा देने के बाद से कांग्रेस की किसान इकाई का नया अध्यक्ष अब तक नियुक्त नहीं हो सका है.
अब महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे पटोले ने एक दिसंबर, 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष बनने के बाद किसान कांग्रेस के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया था. कांग्रेस ने 21 महीनों से किसान प्रकोष्ठ का अध्यक्ष भले ही नियुक्त नहीं किया हो, लेकिन पिछले कुछ महीनों में पार्टी ने संगठन और कई प्रदेश इकाइयों में कई बदलाव किए.
उत्तराखंड, झारखंड, केरल, तेलंगाना, मणिपुर, गोवा और कई अन्य राज्यों के प्रदेश संगठनों में बदलाव किये गए. यही नहीं, कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से नदीम जावेद को हटा कर इमरान प्रतापगढ़ी को जिम्मेदारी सौंपी गई. किसान कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं होने की स्थिति में संगठन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी पिछले कई महीनों से संगठन का काम देख रहे थे, लेकिन अपने पिता के निधन के बाद गत मई महीने में उन्होंने दिल्ली में ‘पालम 360’ खाप के प्रधान की जिम्मेदारी संभाल ली.
सूत्रों ने बताया कि सोलंकी के नेतृत्व में किसान कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास से बाहर मार्च महीने में प्रदर्शन किया था जो संगठन का आखिरी कार्यक्रम था और इसके बाद से इसकी गतिविधियां बंद हैं.
कांग्रेस से जुड़े एक सूत्र ने बताया, ‘पिछले दिनों संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सुरेंद्र सोलंकी से किसान कांग्रेस का काम आगे बढ़ाने के लिए कहा जिस पर सोलंकी ने कहा कि वह मौजूदा समय में अपने खाप के प्रधान की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और ऐसे समय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष के तौर पर काम करना उनके लिए मुश्किल होगा.’ उल्लेखनीय बात यह भी है कि मौजूदा समय में किसान कांग्रेस के पास कांग्रेस मुख्यालय में दफ्तर भी नहीं है. पिछले साल बड़ी संख्या में कांग्रेस प्रभारियों की नियुक्ति होने के बाद किसान कांग्रेस समेत पार्टी के कुछ विभागों को अपने दफ्तर खाली करने पड़े थे.