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पोला पर्व पर बच्चों नें नांदिया बैल दौड़ाकर उठाया आनंद, घरों में बनें ठेठरी, खुरमी व्यंजन का लिया स्वाद…

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नवागढ़, बेमेतरा। शुभम दुबे “मेरूवाणी डाॅट इन”…

ग्रामीण अंचल का प्रमुख पर्व पोला नवागढ़ शहर और ग्रामीण क्षेत्र में उत्साह और उमंग से मनाया गया। इस दौरान गांवों में पशुधन की पूजा-अर्चना कर धन धान्य और सुख समृद्धि की कामना की गई। बच्चों ने नांदिया बैल दौड़ाकर और मिट्टी के खिलौने खेलकर खूब आनंद उठाया। घरों में तैयार छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी, खुरमी सहित अन्य तरह मनभावक पकवानों का लोगों ने लुत्फ उठाया। पोला पर्व के चलते खेतों में काम बंद रहा।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा में पोला पर्व का खास स्थान है। गांवों में इस त्योहार को मनाने की तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है। ग्रामीण इलाकों में देर रात्रि से ही बैगाओं की टोलियों ने घूम-घूमकर कर गांव के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर बेहतर उपज की कामना करती है। सालों से यह परंपरा चली आ रही है। छत्तीसगढ़ की परंपरानुसार घरों में नांदिया बैल, जाता-पोरा और अन्य मिट्टी के खिलौनों की आराध्य देवी-देवताओं के साथ पूजा अर्चना की गई। गुलगुजा भजिया, चीला रोटी सहित अन्य पकवानों का भोग लगाकर सुख-समृद्धि की कामना की गई। पोला त्योहार मनाने के पीछे मान्यता है कि भादो माह में खेती-किसानी काम समाप्त होने के बाद इसी दिन खेतों में लगाये गये धान के पौधों के बालियां तैयार होने लगती है, जिसकी खुशी और बेहतर उत्पादन की आस में यह त्यौहार मनाया जाता है।

यह त्योहार पुरुषों स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। स्त्रियां इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं। अंचल के अधिकतर गांवो में एक निर्धारित स्थल को पोरा पटकने के लिए चिन्हांकित कर दिया गया है। जहां पर कई गांवों में इस परंपरा को बनाए रखने हर्षोल्लास के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। घरों में बने ठेठरी, खुरमी व्यंजन का स्वाद सभी ने उठाया। वहीं अब लोग पोला के बाद तीजा पर्व मनाने की तैयारी में है।

✍… तीज-त्यौहार हमारी संस्कृति और परम्पराओं के संवाहक : विकास दीवान

भाजपा जिला महामंत्री विकास धर दीवान ने क्षेत्रवासियों एवं विशेष रूप से किसानो को पारंपरिक पोला तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी.  उन्होंने ने कहा कि पोला तिहार हमारे जीवन में खेती-किसानी और पशुधन का महत्व बताता है. यह छत्तीसगढ़ की परम्परा, संस्कृति और लोक जीवन की गहराइयों से जुड़ा पर्व है. इस दिन घरों में उत्साह से बैलों और जाता-पोरा की पूजा कर अच्छी फसल और घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए प्रार्थना की जाती है, तीज-त्यौहार हमारी संस्कृति और परम्पराओं का संवाहक होते हैं यह हमारी धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं. खेल-खेल में बच्चे अनजाने ही अपनी मिट्टी और उसके सरोकारों को जुड़ते चले जाते हैं.

दो दिन बाद तीजा, बाजार में रौनक

पोला पर्व के दो दिन बाद सुहागिनों द्वारा मनाया जाने वाला तीजा पर्व (हरतालिका तीज) नौ सितंबर को मनाया जाएगा। तीजा मनाने के लिए पोला पर्व के बाद मंगलवार से विवाहित बेटियों का ससुराल से मायके आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। तीजा पर पूजा करने के लिए महिलाएं नई साड़ियां, श्रृंगार सामग्री, जेवर की खरीदारी करती हैं। इसे देखते हुए बाजार में रौनक दिखाई देने लगी है।