भारत (India) में मानसून का मौसम अपना रंग बदलता जा रहा है. इस वर्ष और बीते कुछ सालों के आंकड़ों से पता लगता है कि मानसून की समयावधि और मौसम का चक्र पूरा होने में कुछ बदलाव हुए हैं. देश में एक समान वितरित बारिश की जगह अब छोटी अवधि में तीव्र बारिश (Intense Rainfall) लेती जा रही है. देश के कई हिस्सों में मानसून की 50 फीसदी वर्षा का आंकड़ा छूने में कम दिन लग रहे हैं. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 41.34 दिनों से कम होकर 40.9 दिनों पर आ गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, वर्षा के दिनों में कमी ने संभावित रूप से राज्यों को अधिक शुष्क बना दिया है. ज्यादातर पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में भारी और अति भारी बारिश बढ़ गई है. हालांकि, बारिश के दिनों में कमी आने का मतलब तीव्र बारिश होने से नहीं है. ऐसे कई राज्य हैं जहां दिनों में भी कमी आई और तीव्र बारिश नहीं देखी गई. मौसम विभाग किसी अंतराल में बारिश को मापने के लिए 1961-2010 के समय के उस अंतराल की औसत बारिश के साथ तुलना करता है. इसे लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) भी कहा जाता है. मौसम खत्म होने में बस एक ही महीना बचा हुआ है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मानसून सामान्य होगा.
दिल्ली में अगस्त की 83 फीसदी बारिश तीन-तीन घंटों की तीन अवधि में ही पूरी हो गई. इनमें से 21 अगस्त और 31 अगस्त की वर्षा शामिल है. राजधानी में अगस्त के 15 दिनों को मानसून का सबसे गीला दौर कहा जाता है. जबकि, उस दौरान दिल्ली में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई थी.
देश में मानसून की 50 फीसदी बारिश को पूरा होने में कम दिन लगने लगे हैं. यह आंकड़ा 41.34 दिनों (1961-2010 में औसत) से 40.9 दिनों (2011-2020 में औसत) पर आ गया है. बिहार में यह आंकड़ा 21.74 दिनों से 19.4 दिन हो गया है. सभी 29 में से दिल्ली समेत 11 राज्यों में उन दिनों की संख्या में कमी देखी गई है, जितने 50 फीसदी बारिश होने में लगते थे. रिपोर्ट के मुताबिक 24 राज्यों में मानसून की 99 फीसदी बारिश में लगने वाले समय में कमी आई है.