अफगानिस्तान में करीब 20 सालों के बाद अमेरिकी ‘दौर’ का अंत हो गया. अमेरिकी सैनिकों (US Troops) की आखिरी टुकड़ी भी काबुल छोड़ कर चली है. ऐसे में अफगान बलों को दशकों से मिल रही अमेरिकी सहायता अब भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समूह के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. खबरें आई थीं कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कई अत्याधुनिक हथियार और सैन्य उपकरण तालिबान (Taliban) के हाथ लग गए हैं.
मौजूदा हालात देखें, तो चीन को रिवर्स इंजीनियरिंग का मास्टर माना जाता है. फाइटर एयरक्राफ्ट से लेकर एयरक्राफ्ट कैरियर तक, टैंक से लेकर यूएवी तक सभी दूसरे देशों की तकनीक चुराकर चीन दुनिया के सबसे ताकतवर देश का तमगा हासिल करना चाहता है. ऐसे में अमेरिकी हथियारों की तकनीक के लिए चीन की लंबी जेद्दोजेहद अब खत्म होता नजर आ रही है. चीन के इंटरनेट हैकर दुनिया भर के हथियार निर्माता कंपनियों में की तकनीक हैकिंग के जरिए हासिल कर रहे हैं, लेकिन अब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब चीन को अमेरीक तकनीक हासिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी.