Home विदेश रूस के साइबर ग्रुप्स ने भारत को बनाया निशाना, वैक्सीन को लेकर...

रूस के साइबर ग्रुप्स ने भारत को बनाया निशाना, वैक्सीन को लेकर फैलाया झूठ: फेसबुक रिपोर्ट

21
0

फेसबुक पर रूस के साइबर ग्रुप्स कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) को लेकर गलत जानकारी फैलाने के लिए भारत (India), लैटिन अमेरिका (Latin Groups) और अमेरिका के कुछ हिस्सों में यूजर्स को निशाना बना रहे थे. इस बात का खुलासा हाल ही में जारी हुई फेसबुक की एक रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये समूह फेसबुक पर एस्ट्राजेनेका और फाइजर की वैक्सीन के खिलाफ गलत जानकारी साझा कर रहे थे. कंपनी ने दावा किया है कि भारतीय दर्शकों को निशाना बनाकर चलाए गए इन ज्यादातर अभियानों का कोई खास असर नहीं हुआ.

इंडियन एक्सप्रेस ने 10 अगस्त को फेसबुक की तरफ से जारी की गई जुलाई 2021कॉर्डिनेटेड इनऑथैंटिक बिहेवियर रिपोर्ट के हवाले से लिखा कि ब्रिटेन में रजिस्टर्ड कंपनी FAZZE ने 65 फेसबुक अकाउंट्स और 243 इंस्टाग्राम अकाउंट्स का इस्तेमाल कर कोविड-19 वैक्सीन से लोगों के चिम्पैंजी में बदलने जैसी गलत जानकारी फैलाई. यह कंपनी प्रमुख रूप से अपने ऑपरेशन रूस के अंदर से ही संचालित करती थी. फेसबुक ने FAZZE पर प्रतिबंध लगा दिया है.
कंपनी ने बताया कि उन्हें जांच में FAZZE और इन अभियानों के तार आपस में जुड़े होने की जानकारी मिली है. साथ ही ये अभियान पांच महीनों की निष्क्रियता के साथ दो अलग-अलग समय पर चलाए गए. पहले नवंबर और दिसंबर 2020 में नेटवर्क ने मीम और कमेंट पोस्ट किए, जो दिखा रहे थे कि कोविड-19 वैक्सीन के बाद लोग चिम्पैंजी बन रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पांच महीनों के बाद मई 2021 में ग्रुप ने एस्ट्राजेनेका का कथित लीक डॉक्यूमेंट पोस्ट कर फाइजर वैक्सीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे. यह बात गौर करने वाली है कि दोनों चरण उस अवधि से मेल खाते थे, जब लैटिन अमेरिका, भारत और अमेरिका समेत कई सरकारें इन वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पर कथित रूप से चर्चा कर रही थीं.’

सोशल मीडिया कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन अभियानों के तहत मीडियम, रेडिट, चेंज डॉट ओआरजी जैसे कई प्लेटफॉर्म्स पर गलत जानकारी वाले लेख और याचिकाएं तैयार की गई. रिपोर्ट में फेसबुक ने यह भी दावा किया है कि भारतीय दर्शकों के लिए तैयार हुए ज्यादातर अभियान बेअसर रहे. रिपोर्ट के अनुसार, ‘इस आर्टिकल के लिखे जाने तक चेंज डॉट ओआरजी पर अंग्रेजी भाषा में जारी याचिका पर केवल 550 लोगों ने हस्ताक्षर किए थे. और इसकी हिंदी भाषी याचिका पर 900 से कम दस्तखत थे. केवल पेड इन्फ्लुएंसर्स की पोस्ट पर ही कुछ सीमित ध्यान गया.’