बलरामपुर (मेरुवाणी)! विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर बलरामपुर में जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन कर धूमधाम से आदिवासी दिवस मनाया गया। सरकार द्वारा इस अवसर पर पहले से ही सार्वजनिक अवकाश का दिन घोषित कर दिया गया था जिससे कार्यक्रम में सभी ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सोमवार को विश्व आदिवासी दिवस पर ब्लाक ईकाई रामचन्द्रपुर के द्वारा सामुदायिक भवन परिसर में समारोह आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आदिवासी समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे। आदिवासी समाज के लोगों ने संदेश देते हुवा कहा कि आदिवासी समाज पूर्व में पिछड़ा हुआ था,लेकिन अपनी संस्क्रति और सभ्यता को नही भूली हैं। स्वागत गीत पर जोर देते हुवे समाज के सम्बंध में जानकारी का वर्णन किया,तथा कहा कि आज के बच्चे बहुत से संस्कृति को नही समझ पाते हैं। सभ्यता संस्कृति भासा व पहचान को भूलना नही है।पुरातन काल के गीतों का भी आधुनिकीरण हो रहा है इस ओर ध्यान देने की जरूरत हैं।सरहुल पर्व में अपने संस्कृति को यथावत रखना होगा,छोटे से बड़े का पालन करने वाला आदिवासी समाज हैं आदिवासी समाज खून पसीना एक कर अनाज का उत्पादन करके समाज को दे रही हैं,जिसका आहार हम सभी को मिल रहा हैं।आदिवासी समाज सभी क्षेत्र में काम कर रहे हैं,समाज को दिशा देने में समाज पीछे नहीं हैl छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज का कहा है, कि पिछले महीने आंदोलन शुरू करते हुए उन्होंने 9 मांगे रखी थीं। सरकार ने इनपर ध्यान नहीं दिया। आज के कार्यक्रमों के समाज के सामने आरक्षण, फर्जी जाति प्रमाणपत्र वालों पर कार्रवाई, अधिसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून लागू करने और सिलगेर गोलीकांड में इंसाफ की मांग पर बात की जाएगी। ब्लॉकों और गांवों में ये मुद्दे उठे तो सरकार को असहज महसूस हो सकता है।समाज ने रैली निकालकर अपनी उपस्थिति दिखाई।