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पंजाब में गैंगस्टरों को ट्रेस करना नहीं आसान, विदेशी नंबरों का इस्तेमाल, बिना सिम होता है मोबाइल

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बिश्नोई और बंबीहा गैंग (Bishnoi and Bambiha gangs) पंजाब पुलिस (Punjab Police) के लिए सिरदर्द बन गए हैं. मोहाली में नौजवान अकाली नेता की हत्या करने वाले बंबीहा गुट का सरगना दविंदर बंबीहा (Davinder Bambiha) पांच साल पहले एनकाउंटर में मारा जा चुका है, जबकि दूसरे गुट का मुखिया लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) तिहाड़ जेल में बंद है. इसके बावजूद पंजाब में दोनों गुटों में खूनी खेल जारी है और पुलिस लाचार है.

दरअसल पंजाब में गैंगस्टर पुलिस के साइबर सेल (cyber cell of the police) से भी ज्यादा हाईटेक हैं. ये गैंगस्टर बिना सिम का मोबाइल और इंटरनेट डोंगल का इस्तेमाल करते हैं, जिसके चलते इन्हें ट्रेस करना पुलिस के लिए भी आसान नहीं है. ये लोग इतने शातिर है कि ये फेसबुक पर अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के नंबर परचेज करते हैं. फिर वारदातों को अंजाम देने के लिए पुलिस की आंखों से ओझल हो जाते हैं.

बिना सिम के मोबाइल का इंटरनेट के जरिए करते हैं इस्तेमाल
एक हिंदी दैनिक अखबार के मुताबिक बीते दिनों पुलिस ने जब गैंगस्टर प्रीत सेखों अमृतसरिया को अजनाला से गिरफ्तार किया तो उससे पुलिस को हथियारों के साथ-साथ मोबाइल फोन मिले थे और दो इंटरनेट डोंगल मिले थे. बरामद किए गए मोबाइल्स में सिम नहीं थे. जग्गू भगवान पुरिया, बॉबी मल्होत्रा, लारेंस बिश्नोई, विक्की गोंडर जो एनकाउंटर में मारा गया है, उससे भी बिना सिम के ही मोबाइल और डोंगल बरामद हुए थे. पुलिस का साइबर सेल पहले गैंगस्टरों को उनके मोबाइल से चिन्हित कर लेता था, लेकिन बाद में ये लोग डोंगल से इंटरनेट के जरिए फोन का इस्तेमाल करने लगे, जिससे ये लोग पुलिस की पकड़ से बाहर हो गए.

व्हाट्सएप कॉलिंग और फेसबुक का कैसे करते हैं इस्तेमाल
अपराधों को अंजाम देने के लिए गैंगस्टर वॉट्सएप कालिंग या फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए उन्हें सिम की जरूरत नहीं पड़ती है और न ही उनकी कॉल ट्रेस हो पाती है. यदि वे पकड़े भी जाएं तो उनकी पिछली कोई कॉल डिटेल भी नहीं होती है, जिसके चलते पुलिस को मोबाइल से भी कोई डाटा नहीं मिलता है. व्हाट्सएप से कॉल करने के लिए मोबाइल में सिम का प्रयोग जरूरी नहीं होता. अगर एक्टिवेशन कोड मोबाइल में डाल दिया जाए तो बिना सिम कार्ड के भी व्हाट्सएप का प्रयोग किया जा सकता है.

आरोपियों को वॉट्सएप चलाने के लिए भारतीय सिम की जरूरत नहीं पड़ती है. वे फेसबुक से मिलने वाले विदेशी क्लोन नंबरों का प्रयोग करते हैं. यह नंबर फेसबुक पर 150 से 300 रुपए तक में उपलब्ध रहते हैं. इनके सिम और नंबर विदेश में ही ट्रेस होते हैं, क्योंकि इनका मोबाइल में एक्टिवेशन कोड डाला जाता है. इसके बाद पुलिस को उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है.

पंजाब और केंद्र सरकार को लिखा पत्र
DCP इन्वेस्टिगेशन मुख्याविदर सिंह भुल्लर ने कहा कि पंजाब सरकार और केंद्र सरकार को इस बारे में पत्र लिखकर पुलिस बता चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि फेसबुक पर बिना सिम के वॉट्सएप न चलाने के लिए दबाव बनाया जाए तो इस समस्या का हल हो सकता है और गैंगस्टरों को ट्रेस किया जा सकता है.