नवागढ़, बेमेतरा। शुभम दुबे “मेरूवाणी डाॅट इन”…
नगर सहित आसपास के गांवों में छत्तीसगढ़ प्रदेश का पारंपरिक त्यौहार हरेली मनाया गया। हरेली त्यौहार के दिन कुलदेवता की पूजा की जाती है। हरेली पर किसानों के द्वारा नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि औजारों की साफ-सफाई कर उसे घर के आंगन में रखकर पूजा-अर्चना किये जाते है। इस अवसर पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया गया। हरेली के दिन ज्यादातर लोग कुल देवता, ग्राम देवता एवं गाय व बैल की पूजा करते है। हरियाली त्यौहार को लेकर बच्चों एवं किसानों में खासा उत्साह देखनें को मिला। त्यौहार के चलते नगर की सड़के वीरान नजर आई। रविवार को नगर के अधिकांश व्यापारी वर्ग ने त्यौहार के चलते एक दिन छुट्टी मनाई।
उल्लेखनीय है कि हरेली त्यौहार पर बांस का गेंड़ी बनाकर चढ़नें की परम्परा भी है। क्षेत्र में इक्का दुक्का ही लोग गेंड़ी पर चढ़ते नजर आए। वहीं चौक चौराहों में हरेली अमावस्या के दिन लोगों के द्वारा लगाई जानें वाली बाजी की परम्परा भी विलुप्त होती प्रतीत हुई। नारियल फेंकने सहित अन्य तरह-तरह के खेलों पर युवाओं के द्वारा लगाए जाने वाले इन दावों का स्वरूप भी बदला हुआ नजर आया। लोग ताश एवं चीटपट खेलते नजर आए। वहीं ग्रामीण अंचल में लोग परम्पराओं से हट कर नशापान करते नजर आए।
✍…कोरोनाकाल से फीके पड़ रहे त्योहार…
बीते साल जैसा ही अभी कोरोनाकाल बरकरार है। इस वजह से पहले जैसा उत्सव नहीं रहा। केवल रस्में ही पूरी की जा रही हैं। हरेली त्योहार के दिन बच्चों की टोलियां जरूर हरियाली की प्रतीक नीम की टहनियां घरों के दरबाजे पर लगाकर बख्शीश लेने के लिए निकली। कुछ साल पिछला ऐतिहासिक नवागढ़ नगर के हरेली महोत्सव में सजे-धजे बैला दौड़, गेड़ी दौड़, मटका फोड़, फुगडी, नारियल फेंक आदि प्रतियोगिताओं की कमी नगरवासियों को महसूस हो रही है।