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मोहल्ला क्लास से वाहवाही लूटने की होड़, रामानुजगंज कार्यालय में नहीं रहते अधिकारी

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रामानुजगंज(गौरव दुबे)! कोरोना काल में बच्चों को संक्रमण के साथ बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा मोहल्ला क्लास की शुरुआत एक वर्ष पूर्व की थी परन्तु आज एक वर्ष बितने को है पर किसी को भी मोहल्ला क्लास की अवधारणा स्पस्ट नहीं है। जहां तक गत वर्ष के शासन के आदेश-निर्देश थे उसके अनुसार मोहल्ला क्लास में बच्चों को उनके घर के समीपस्थ एक सुरक्षित स्थान का चयन कर बच्चों को सीमित संख्या में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए अध्यापन कार्य कराना था। किसी भी स्कूल में मोहल्ला क्लास की संख्या वहाँ की शिक्षकों की संख्या पर निर्भर करती है अगर किसी स्कूल में 2 शिक्षक थे तो उस स्कूल में 2 मोहल्ला क्लास संचालित किया जा सकता है तथा पालियों में विभाजित करके मोहल्ला क्लास की संख्या बढाई जा सकती थी। पर मोहल्ला क्लास के संबंध में जानकारी न होने पालन या स्पस्ट गाइड लाइन न होने के कारण मोहल्ला क्लास मोहल्ला स्कूल का रूप धारण कर रहा है।  स्कूल में सभी बच्चों को किसी एक स्थान पर बुलाकर भीड़ की तरह बैठाकर एक सेल्फी लेकर मोहल्ला क्लास संचालित किया जा रहा है। हमारे प्रतिनिधि के द्वारा भ्रमण के दौरान मोहल्ला क्लास के संबंध में जो देखा उसके अनुसार दो से तीन शिक्षक किसी बड़े से पेड़ के नीचे बच्चों को बुलाकर एक से दो घंटे बैठकर सेल्फी लेकर मोहल्ला क्लास का संचालन करते दिख रहे है। बरसात होने पर गीली जमीन पर ही बैठा दिया जाता है। आस पास बड़े-बड़े घास भी देखने को मिल जाते है जिससे घटना की आशंका बनी रहती है। कई जगह तो स्कूल भवन, स्कूल भवन के बरामदे में, तो कही किसी के मकान के छोटे से कमरे में, कई गांवों में तो ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित सीसी सड़क पर ही लाइन से बैठाकर मोहल्ला क्लास संचालित किया जा रहा है। शिक्षक मोहल्ला क्लास संचालित करने और कार्यवाही से बचने के डर से बच्चों के जिदंगी के साथ खिलवाड़ कर रहे है। अधिकारी भी अपने जिले में एवं विकासखंड में मोहल्ला क्लास संचालित हो रहा है इसके लिये एक दो मोहल्ला क्लास का निरिक्षण कर सेल्फी खिचकर वाहवाही लुटने में मशगुल है। न तो अधिकारी और न ही शिक्षक यह बताने की स्थिति में है कि मोहल्ला क्लास का संचालन कैसे किया जाना है।

शिक्षा विभाग के आधे से ज्यादा कर्मचारी अन्य विभाग में कार्यरत– मोहल्ला क्लास का संचालन करवाकर वाहवाही लुटने वाले ये अधिकारी क्या बता पाएंगे की कितने मोहल्ला क्लास का संचालन किन-किन स्थलों पर किया जा रहा है  क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकांश शिक्षक शिक्षा विभाग को छोड़कर कई कार्यलयों में संलग्न है जिसमें तहसील कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, बीईओ कार्यालय, बीआरसी कार्यालय, जिला शाखा के साथ-साथ स्वास्थ्य कार्यालय की ड्यूटी बजा रहे है। जिले के आधे से ज्यादा शिक्षक तो कोरोना ड्यूटी में ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक न चाहते हुये भी कार्य करने को विवश है। शिक्षकों की विडम्बना तो देखिये कि शिक्षक आज शिफ्ट में अन्तर्राज्यीय बैरियरों में कार्य कर रहे है। ऐसे में मोहल्ला क्लास का संचालन कैसे हो रहा होगा यह आप समझ सकते है।

मोहल्ला क्लास में कितने बच्चे हो रहे है लाभान्वित? – क्या जिले और विकासखण्ड के अधिकारों ये बता सकते है कि जिले या विकासखण्ड के कितने बच्चे इन मोहल्ला क्लास से लाभान्वित हो रहे है। मोहल्ला क्लास के लिये जब स्कूलों में पूर्ण शिक्षक ही नहीं है तो आधे से भी कम शिक्षक कैसे शत प्रतिशत बच्चों को शिक्षा दे पाएंगे।

कई स्कूल शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकिय– विडंबना तो देखिये की जिले के कई स्कूल एकल शिक्षकीय एवं शिक्षक विहीन है जिले जिले और विकासखंड के अधिकारी कई बार काबुल भी कर चुके है ऐसे में इन स्कूल के बच्चें कैसे मोहल्ला क्लास में लाभान्वित हो रहे होंगे यह समझ से परे है। शिक्षक विहीन स्कूल भगवन भरोसे है ही परंतु एकल शिक्षक स्कूल जिसमें एक ही शिक्षक मौजूद है उन्हें भी संकुल प्रभारी, समन्वयक व प्राचार्य का दायित्व निभाना पड़ रहा है जिससे वे  कार्यालयों के चक्कर लगाने में सारा समय बिता देते है। ऐसे में मोहल्ला क्लास का तस्वीर दिखाना छात्रों के साथ क्रूर मजाक है।

एक शिक्षक के भरोसे स्कूल– बलरामपुर जिले में जिला शिक्षा अधिकारी छात्रों के भविष्य को लेकर जितने भी उत्साहित हो उनका उत्साह कागजों एवं सेल्फी पर ही दिखता है जमीन पर शिक्षकों एवं छात्रों की स्थिति अगर देखा जाये उससे दुख ही होता है। उदाहरण के लिये रामचन्द्रपुर जनपद के कुशफर, चुनापाथर, धौरादामर, धौली आदि अधिकांश स्कूल में एक शिक्षक सैकड़ों बच्चों को पढ़ा भी रहे है, संकुल प्रभारी की जिम्मेदारी भी निभा रहे है एवं दूरस्थ कार्यालय का कार्य भी कर रहे है क्या जिला शिक्षा अधिकारी महोदय बताएँगे ये कैसे संभव है। हाई स्कूल जैसे स्कूलों में एक-एक शिक्षिका तीन-तीन वर्ष से उपरोक्त जिम्मेदारी  निभाने पर विवश है परंतु अधिकारी उक्त स्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं कर पा रहे है जबकि कई स्कूल ऐसे है जहां शिक्षकों की भरमार है एवं कई दूसरे विभागों में सलग्न होकर मजे कर रहे है। जबकि शिक्षकों को नियुक्ति सरकार द्वारा शिक्षण कार्य के लिये किया जाता है न कि कार्यालीन कार्य के अलावा दूसरे विभागों के भी कार्य के लिये? इस तरह शिक्षकों को अलग-अलग विभागों में सलंग्न कर कार्य करने की छुट देना क्या बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं है?

जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर का आदेश से शिक्षकों में भ्रम– जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा 13 जुलाई को आदेश जरी कर  पूरे जिले में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जनपद) को मोहल्ला स्कूल की जाँच करने को कहते है जिसमें शिक्षकों को 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल में रहने का निर्देश है। अब शिक्षक इस भ्रम में है कि 10 से 4 बजे तक स्कूल में रहेंगे तो बच्चों का मोहल्ला क्लास कैसे संचालित करेंगे।

समाजसेवक के द्वारा बांटा गया मास्क–  जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा मोहल्ला क्लास संचालित करने को तो बोल दिया गया परंतु कोरोना काल में सुरक्षा के लिये बच्चों के बीच मास्क और सेनेटाइजर की व्यवस्था करना भूल गये। जब समाजसेवक मोहल्ला स्कूल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बच्चें बिना मास्क और सेनेटाइजर के है तो उन्होंने अपने पास से मास्क और सेनेटाइजर की व्यवस्था की।

नही रहते रामानुजगंज कार्यालय में जिला शिक्षा अधिकारी–  जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में नहीं रहने के कारण एवं उनसे फ़ोन पर संपर्क नही होने के कारन उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। बताया जाता है कि जिला शिक्षा अधिकारी नाम मात्र के लिए रामानुजगंज कार्यालय में आते है। कोई नहीं जानता कब आते है कब जाते है। शायद जानबुझकर अधिकारी फ़ोन नहीं उठाना चाहते है । कार्यालय में नहीं रहने से इनके कर्मचारी भी हमेशा रामानुजगंज से बलरामपुर दौड़ लगाते रहते है ।