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क्या ब्लैकलिस्ट होगा पाकिस्तान, या बना रहेगा ग्रे लिस्ट में, FATF आज करेगा इस पर फैसला

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फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) आज पाकिस्तान के भविष्य का ऐलान करने वाली है, जिसमें यह तय हो जाएगा कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा या फिर उसे ब्लैकलिस्ट (Blacklist) किया जाएगा. बैठक में शामिल पांच देशों में से चार पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर किए गए काम से असंतुष्ट हैं. इस बैठक में शामिल चीन अपने आयरन ब्रदर पाकिस्तान को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है. वहीं पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इस मंच का उपयोग राजनीतिक हित साधने के लिए कर रहा है. एफएटीएफ की बैठक से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को एक बार फिर छह महीनों के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा जा सकता है. दरअसल, इस वैश्विक संस्था ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें पाकिस्तान ने 27 कार्यबिंदुओं में से अबतक केवल 26 को ही पूरा किया है. पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (आईसीआरजी) की ऑनलाइन मीटिंग में पाकिस्तान की प्रगति की समीक्षा की है.

इस समूह में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने FATF के 27 सूत्री ऐक्शन प्लान में से 26 को लागू कर दिया है. पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे एफएटीएफ की बैठक से कोई अच्छी खबर मिल सकती है. वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आरोप लगाया है कि भारत एफएटीएफ का उपयोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक तकनीकी मंच है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक हितों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी को देखते हुए पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने की संभावना है. पाकिस्तान को एफएटीएफ के बाकी बचे एक बिंदु को लागू करने के लिए कम से कम दो से तीन महीने और लगेंगे. ऐसे में अमेरिका, भारत, फ्रांस और ब्रिटेन कोई भी छूट देने के लिए तैयार नहीं होने वाले हैं. हालांकि, प्रदर्शन के मामले में पाकिस्तान बहुत आशावादी है कि उसे FATF से अच्छी खबर मिलेगी.

अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है. पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा. पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी. दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है. क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है. पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था. अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी. पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है. इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है.