भारत में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus In India) को प्रबंधित और नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण (Vaccination In India) जारी है. इस बीच एक स्टडी में दावा किया गया है कि भारत में कोवीशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) लगवाने वालों में एक अलग किस्म का सिंड्रोम पाया जा रहा है. स्टडी में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाने वालों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या देखी जा रही है. इस सिंड्रोम का नाम है- गुलियन बेरी (Guillain-Barre Syndrome). यह बीमारी नर्वस सिस्टम से जुड़ी हुई है. अगर यह बीमारी पूरे शरीर में फैल जाए तो शख्स को लकवा भी मार सकता है.
स्टडी में दावा किया गया है कि गुलियन बेरी सिंड्रोम बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. इसमें इम्यूनिटी सिस्टम, नर्वस सिस्टम में मौजूद हेल्थी टीशूज पर हमला करती हैं. इसमें खास तौर से चेहरे की नसें कमजोर हो जाती हैं. इस बाबत एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोवीशील्ड लगवाने वाले सात मामले सामने आ चुके हैं. इन सभी सात लोगों ने कोवीशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगाने के बाद 10-22 दिन में गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण भी दिखे.
क्या हैं गुलियन बेरी के लक्षण?
एनाल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक मिलने के बाद जिन लोगों में गुलियन बेरी सिंड्रो की शिकायत पाई गई, उनके चेहरे दोनों ओर से कमजोर होकर लटक गए थे. अक्सर 20 फीसदी से कम मामलों में ऐसा पाया जाता है. इस बीमारी पर शोध कर रहे वैज्ञानिक इस बात पर हैरान थे कि आखिर बीमारी इतनी तेज कैसे फैली.
रिसर्चर्स ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन सेफ है लेकिन इसके बाद सतर्क रहने की जरूरत है. अगर सिंड्रोम के कोई लक्षण दिखें तो जरूर गौर करें. गुलियन बेरी सिंड्रोम में शरीर में कमजोरी, चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होना, हाथ पैर में झुनझुनाहट होना और दिल की धड़कन अनियमित रहना लक्षण हैं.
बता दें भारत में अब तक 30,16,26,028 खुराक लोगों को लगाई जा चुकी है. इसमें बड़ी संख्या कोवीशील्ड की खुराक पाने वालों की है. देश में फिलहाल भारत बायोटेक निर्मित- कोवैक्सीन, ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजेनेका की कोवीशील्ड और रूस की स्पूतनिक वी टीके की खुराक देने की अनुमति है.