नकली रेमडेसिविर मामले में प्रोडक्शन वारंट पर गुजरात से जबलपुर लाए गए चारों आरोपियों सपन जैन, सुनील मिश्रा, कौशल वोरा व पुनीत शाह ने कई अहम खुलासे किए। सूरत में नकली इंजेक्शन की फैक्ट्री चलाने वाले कौशल व पुनीत शाह 50 रुपए की लागत से तैयार एक शीशी नकली इंजेक्शन 1700 रुपए में सुनील मिश्रा को बेचा था। सुनील ने इसे सपन जैन को 3000 रुपए में पलटाया था, जबकि सपन ने इसे सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा काे 4800 रुपए में देने का सौदा किया था।
एसआईटी सूत्राें की मानें, तो चारों आरोपियों की पुलिस रिमांड सोमवार को समाप्त हो रही है। शाम को चारों को मुलाहिजा कराने के बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके बाद चारों आरोपियों को लेकर एसआईटी की 10 सदस्यीय टीम लेकर गुजरात रवाना होगी। एसआईटी टीम अपने साथ सिटी अस्पताल के दवा कर्मी देवेश को भी ले जा रही है। इसी दौरान, एसआईटी देवेश और सपन जैन का आमना-सामना भी कराने की तैयारी में है। सोमवार रात या फिर मंगलवार सुबह टीम आरोपियों काे लेकर रवाना हो सकती है।
मोखा को पता था कि नकली इंजेक्शन मिल रहे हैं
कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल में ही चरम पर था। अस्पताल में एक-एक बेड की मारामारी थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर लोग कोई भी कीमत चुकाने को तैयार बैठे थे। इसी का सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा ने फायदा उठाया। सपन ने एसआईटी को बताया, मोखा का साफ कहना था कि इंजेक्शन के नाम पर कुछ भी लाओ, चलेगा। मोखा ने मरीजों से एक इंजेक्शन के एवज में 15 से 18 हजार रुपए तक वसूल किए। हालांकि उसने बिल में इसे कीमत पर 4800 रुपए में ही देना दर्शाया है।
नाकामी छुपाने मरीजों को बिल ही नहीं देता था
कोविड मरीजों के इलाज के नाम पर मनमाने तरीके से पैसे वसूले गए। मोखा के सिटी अस्पताल में 171 मरीजों को 209 नकली इंजेक्शन लगे थे। इसमें नौ की मौत हुई थी। पर एसआईटी ने इन मरीजों से संपर्क साधा तो 30 मरीज के पास ही कोरोना इलाज से संबंधी बिल मिल पाए। अधिकतर मरीजों को उसने इलाज का कोई बिल ही प्रस्तुत नहीं किया था। अमूमन वह डिस्चार्ज स्लीप पकड़ा देता था।
आईटी की टीम गुजरात के चारों आरोपियों व जबलपुर में गिरफ्तार देवेश को गुजरात पहुंचाने के बाद साक्ष्यों को जुटाने लगी है। इसके लिए गुजरात गई टीम को वहां की विवेचना के दौरान जब्त साक्ष्यों की अहम प्रति, बैंक डिटेल और आरोपियों के घर, फैक्ट्री व दुकान से जब्त सामग्री का अधिकृत रूप से दस्तावेज लेकर लौटेगी। इस दस्तावेज को जबलपुर की विवेचना में संलग्न किया जाएगा।
एफएसएल और कंपनी को भेजी गई इंजेक्शन की शीशियां
वहीं मोखा के घर व अस्पताल समेत नाले के पास फेंके कई शीशियों को भी जांच के लिए भिजवा रही है। कुछ सेम्पल भोपाल के एफएसएल को भेजी जाएगी। वहीं, कुछ सैंपल माइलोन कंपनी को भेजे गए हैं। कंपनी की रिपोर्ट भी एक अहम साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जाएगी। इससे पहले रविवार को एसआईटी ने सपन जैन के भगवती फार्मा, सत्येंद्र व सत्यम मेडिकोज की जांच करने पहुंची थी।
नीत शाह व कौशल वोरा ने ये स्वीकार किया था
आरोपियों ने कुल 10 हजार 100 इंजेक्शन तैयार कराए थे।
रीवा का सुनील मिश्रा ने 1200 इंजेक्शन 1700 रुपए की दर नी खरीदे।
सुनील ने 700 इंदौर ताे 500 इंजेक्शन दवा फार्मा संचालक जबलपुर निवासी सपन जैन को तीन हजार रुपए की दर से बेची।
सपन ने 465 इंजेक्शन सिटी अस्पताल के डायरेक्टर का 4800 रुपए की दर से दिया था।
यह है मामला
गुजरात में बने 209 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन में जबलपुर के सिटी अस्पताल में 171 मरीजों को लगाए गए हैं। अस्पताल संचालक ने 465 तो भगवर्ती फार्मा के संचालक सपन जैन ने 35 इंजेक्शन गुजरात की इस फर्जी कंपनी से रीवा के सुनील जैन के माध्यम से खरीदे थे। जबलपुर के ओमती थाने में दर्ज एफआईआर में नामजद सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा सहित 6 आरोपी जेल में हैं। वहीं, गुजरात पुलिस की गिरफ्त में आए सुनील मिश्रा, सपन जैन, कौशल वोरा व पुनीत शाह को जबलपुर की एसआईटी 21 जून तक रिमांड पर पूछताछ के लिए ली थी।