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BCCI को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत, डेक्कन चार्जर्स को नहीं देने होंगे 4800 करोड़ रुपये

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भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बीसीसीआई को अब डेक्कन चार्जर्स को 4800 करोड़ रुपये नहीं चुकाने होंगे. बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस पटेल की बेंच ने पिछले साल आर्बिट्रेटर के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें बीसीसीआई को जुर्माने के तौर पर डेक्कन चार्जर्स को 4800 करोड़ रुपये देने का फैसला सुनाया गया था. इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2009) का खिताब जीतने वाली फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ उसे IPL से गलत तरीके से हटाने का आरोप लगाते हुए केस किया था.

बता दें ये मामला साल 2012 का है, जब बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स (Deccan Chargers) का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया था. हैदराबाद की इस फ्रेंचाइजी ने बीसीसीआई के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी. डेक्कन चार्जर्स ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस मामले की जांच के लिए अदालत ने रिटायर्ड न्यायाधीश सी के ठक्कर को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था. आर्बिट्रेटर ने इस मामले में फैसला डेक्कन चार्जर्स के पक्ष में सुनाया था. सुनवाई के दौरान डेक्कन चार्जर्स ने 6046 करोड़ रुपये के हर्जाने और ब्याज की मांग की थी. बीसीसीआई ने इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के निर्णय के पीछे पूरा तर्क दिया था. अंत में फैसला बीसीसीआई के खिलाफ ही गया.

आईपीएल की शुरुआत 2008 से हुई है.आईपीएल की शुरुआती टीमों से एक डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स लिमिटेड (डीसीएचएल) की टीम डेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई के साथ 10 साल का करार किया था. हालांकि साल 2012 में बीसीसीआई ने डेक्कन को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद डेक्कन ने बॉम्बे हाईकोर्ट की शरण ली थी.

आईपीएल के पहले सत्र में डेक्कन की टीम आठवें नंबर पर रही थी लेकिन अगले ही साल यह टीम एडम गिलक्रिस्ट की कप्तानी में खिताब जीत गई. साल 2010 में डेक्कन की टीम आईपीएल अंकतालिका में दूसरे स्थान पर रही लेकिन सेमीफाइनल में उसे चेन्नई सुपर किंग्स से मात खानी पड़ी. तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में उसे रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने हराया. साल 2011 में डेक्कन की टीम सातवें स्थान पर रही थी. आईपीएल 2011 में दस टीमों ने हिस्सा लिया था.