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कोरोना महामारी के इस भयंकर दौर में भी बेजुबान पशु -पक्षियों के सेवा में निरंतर लगे प्रेम मानिकपुरी

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कोरोना महामारी के इस दौर में भी राष्ट्रीय गौ वंश सेवक संघ के जिलाध्यक्ष प्रेम मानिकपुरी शहर में भटकते बेजुबान जीवों की सेवा में जुटे हुवे हैं ।उन्होंने बेजुबान जीवो की सेवा के लिए समय निर्धारण किया है जिसके तहत वे सुबह शाम घर से बाइक पर पशु पक्षियों के लिए खाद्य सामग्री ,दवा और मरहम पट्टी लेकर निकलते हैं जिससे वे बेजुबान जीवों की भूख मिटाने में सहायता और बीमार पशु पक्षियों का उपचार कर सकें।प्रेम ने बताया कि बचपन से ही उन्हें बेजुबान जीवों के प्रति लगाव है और कुछ सालों से निरंतर वे सेवा देते आ रहे हैं ।इनका कहना है हम अक्सर इंसानों से दोस्ती करते हैं और अधिकतर समय उनके साथ बिताते हैं लेकिन पशु पक्षी से भी दोस्ती की जाती है यह दोस्ती एक ऐसी दोस्ती होती है जो निःस्वार्थ होती है ।हमें उनके साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए हमें यह महसूस करना चाहिए कि उनमें भी दर्द ,प्रेम ,भूख,मित्रता और शत्रुता आदि की भावना होती है हमें उनसे प्यार करना चाहिए ।इस मुहिम के लिए प्रेम मानिकपुरी अपने विचारों से प्रेरित करते हुवे अपने टीम के साथ सेवा कार्य मे लागे हुवे है जिसमे सावित्री दास, पल्लवी ,प्रियंका ,प्रिया, आलिंद तिवारी ,स्वपनिल ,पारस , योगेश, अमर सिंह, प्रकाश,उमेश, सूरज आदि प्रमुख है जो इनके साथ साथ प्रत्येक दिन बेजुबान जीवो की सेवा में लगे है। लॉक डाउन में भी प्रत्येक दिन प्रेम और इनकी टीम सुबह शाम 3-4 घण्टे सेवा दे रहे हैं । प्रेम और उनकी टीम सेवा के साथ साथ लोगों को बेजुबान जीवों पर दया करने का संदेश देते है ।इनका कहना है जिस प्रकार हम इंसानों को प्रेम की आवश्यकता होती है उसी प्रकार पशु पक्षियों को भी प्रेम की आवश्यकता होती है और वे इंसान द्वारा किये जाने प्रेम को आसानी से पहचान लेते है इनमें निःस्वार्थ प्रेम की भावना होती है ।आपने कई बार देखा होगा मोहल्ले में घुमने वाले कुत्ते को देखकर मुस्कुरा दो अथवा उसे अपने पास भर आने दो तो इतने में ही वह आपके आसपास घुमने लगता है और पूंछ हिलाने लगता है पता ही नही चलता आप व उसकी दोस्ती हो जाती है । हमे पशु पक्षियों से प्रेम करना चाहिए और यदि न करें तो कम से कम उन्हें प्रताड़ित न करें।
” मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इंसान के लिए है ।जैसे ही कोई इंसान खुसी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं।।