देश की राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) तक हाई स्पीड बुलेट रेल संचालन के लिए सर्वेक्षण कार्य (High Speed Bullet Train Survey) इन दिनों व्यापक स्तर पर चल रहा है. इस अतिहत्वाकांक्षी रेल परियोजना के साल 2026 तक पूरे होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इटावा जिले के चैपुला मे हाई स्पीड रेल परियोजना का रेलवे स्टेशन भी बनेगा.
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे हवाई सर्वेक्षण को किया जा रहा है, स्थलीय सर्वेक्षण भी किया गया है. बताया गया है कि हर पांच किलोमीटर के दायरे मे सर्वेक्षण टीम ने पिलर प्वांइट तैयार किये हैं.
इन गांवों में होगा जमीनों का अधिग्रहण
इटावा जिले के लोडरपुरा, रमपुरा कौआ, कुदरैल, टिमरूआ, खडैता, चैपुला, बनी हरदू, खरौंगा, नगला चिंता, खरगपुर सरैया आदि के गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट के लिहाज से किया जायेगा. सबसे बडा जमीन का अधिग्रहण चैपुला पर किये जाने की बात कही जा रही है क्योंकि यहां हाईस्पीड रेल परियोजना का रेलवे स्टेशन बनेगा.
दिल्ली से वाराणसी तक बनने वाले हाईस्पीड रेलवे ट्रैक पर जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के किनारे चैपुला कट के पास आधुनिक रेलवे स्टेशन बनेगा. तीन चरणों में मेट्रो की तर्ज पर पिलर पर इस ट्रैक का निर्माण होगा.
तीन चरण में पूरा होगा रेलवे ट्रैक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लेकर प्रदेश के जिलों में लगातार विकास कार्यो पर फोकस किए हैं. इसी के तहत एक्सप्रेस-वे के किनारे दिल्ली से वाराणसी तक हाईस्पीड रेलवे ट्रैक पर तीव्रगति की ट्रेन चलाने का सपना संजोया गया है. इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए वर्ष 2026 की डेडलाइन निर्धारित है. ट्रैक बनाने में किसानों की ज्यादा भूमि नहीं लेनी पड़े, इसीलिए एलीवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा. पहले चरण में दिल्ली से आगरा, दूसरे चरण में आगरा से लखनऊ और तीसरे चरण में लखनऊ से वाराणसी तक रेलवे ट्रैक बनेगा. यह ट्रैक आधुनिक सुरक्षा और संरक्षा के संसाधनों से लैस होगा.
साल भर में अधिग्रहण के साथ निर्माण की प्रक्रिया
दलदल व नमी युक्त भूमि की पहचान के लिए सर्वे किया जा रहा है. ताखा क्षेत्र में भूमि ज्यादा नमीयुक्त बताई गई है इसीलिए धरातल पर नजर डाली गई. अब एक साल के अंतराल में जमीन अधिग्रहण के साथ ही निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
दिल्ली के सराय काले खां से मथुरा, आगरा, इटावा, कन्नौज, लखनऊ होकर वाराणसी के भदोही तक यह रेलवे ट्रैक बनेगा. इसकी कुल लंबाई 816 किलोमीटर है. इस दूरी को हाईस्पीड ट्रेन चार घंटे में तय करेगी. इटावा के ब्लाक बसरेहर, ताखा और सैफई के कई गांव इस ट्रैक से जुड़ जाएंगे. यह क्षेत्र अभी तक काफी पिछड़ा है. एक्सप्रेस-वे के बाद हाई स्पीड ट्रैक पर स्टेशन बनने से क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी. क्षेत्र के विकास संग लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
दीवाली के बाद से शुरू हुआ सर्वेक्षण
तोडरगांव के सर्वेश कुमार का कहना है कि दीपावली के आसपास से रेल प्रोजेक्ट को लेकर सर्वे किया जा रहा है. सर्वे टीम परिवार का विवरण कलेक्ट कर रहे है. आधार कार्डो का संकलन भी कर किया गया है. हवाई जहाज से दो दफा सर्वे किया जा चुका है. इस योजना को बहुत अच्छी योजना माना जायेगा इस योजना के संचालन से इलाके का विकास होगा. प्रधानमंत्री का दिल से आभार प्रकट करते हैं, जब इस इलाके से रेल परियोजना शुरू होगी तो जाहिर है कि इलाके बड़ी-बड़ी कंपनियां भी आएंगी, जिससे सरकारी ना सही गैर सरकारी काम तो मिलेगा.
हेलीकॉप्टर से तय किए गए हैं प्वाइंट
अजीत यादव कहते हैं कि चार पहिया वाहनों से आने वाले सर्वेयर यहां पर सर्वे करते हैं, साथ ही हवाई सर्वे भी हेलीकाप्टर से किया जा रहा है. स्थानीय सर्वेक्षण टीम दूरबीन आदि से सर्वे करती है. जिस दिन हवाई सर्वे किया गया उसी दिन जो प्वाइंट बनाये गये है उन पर नंबर भी मार्क किये गये हैं. उनका कहना है कि यह योजना इस इलाके के लोगों के लिए कहीं ना कहीं किस्मत बदलने वाली योजना हो सकती है क्योकि यह इलाका अर्से से उपेक्षा का शिकार रहा है.
स्थानीय वासी मधुर कुमार का कहना है कि करीब चार से पांच महीने के आसपास से सर्वे शुरू हुआ है. दो महीने तक कोई यह नहीं जान पाया कि यह सर्वे किस बाबत है? बाद मे जब यह बात लोगों को पता चली कि यहां से हाई स्पीड ट्रेन का संचालन होगा तो खुशी का ठिकाना नहीं है. एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद लोगों को रोजगार मिला हुआ है. अब हाई स्पीड रेल परियोजना का संचालन होगा तो जाहिर है कि लोगों की किस्मत चमकेगी जरूर.
जमीन के मुआवजे के साथ नौकरी की भी मांग
संदीप कुमार लालू का कहना है कि बहुत अच्छी परियोजना के लिए सरकार का धन्यवाद तो हम करते हैं लेकिन बेहतर मुआवजे के साथ हर परिवार के व्यक्ति को नौकरी दी जानी चाहिए. पहले एक्सप्रेसवे में लोगो की जमीन चली गई. अब रेल परियोजना के नाम पर जमीन ली जायेगी. ऐसे मे लोगों को बेहतर मुआवजे के अलावा नौकरी की ही दरकार है.
बुलेट ट्रेन के लिए जमीन से करीब 10 मीटर ऊंचा ट्रैक बनाया जाएगा. कृषि भूमि पर मौजूदा सर्किल रेट से चार गुना और आबादी क्षेत्र में दोगुना मुआवजा नियमानुसार दिया जाएगा. बुलेट ट्रेन के ट्रैक को ली जाने वाली जमीन के लिए प्रोजेक्ट के अधिकारियों और किसानों के बीच समन्वय बैठक हो चुकी है. किसानों की ओर से किसी भी तरह की नकारात्मक प्रक्रिया नहीं आई हैं.
14 स्टेशन बनाए जाने का प्रस्ताव
दिल्ली से वाराणसी के बीच 14 स्टेशन बनाए जाने का प्रस्ताव है. प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियो की मानें तो पहले सिर्फ 12 स्टेशन बनाए जाने थे, लेकिन कानपुर और न्यू भदोही को इसमें जोड़ा गया है. दिल्ली से वाराणसी तक बुलेट ट्रेन जमीन के साथ ही सुरंग और एलिवेटेड ट्रैक से भी गुजरेगी. लाइट डिटेक्शन एंड रेजिंग सर्वे (लिडार) तकनीक से नई दिल्ली-वाराणसी नेशनल हाई स्पीड रेल कारिडोर का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है. अब टेंडर सहित अन्य प्रक्रियाओं की तैयारियों में नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के अधिकारियों की टीम जुटी है.
नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड कारिडोर के तहत प्रस्तावित 861 किलोमीटर दूरी में नोएडा के जेवर एयरपोर्ट से मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ा जाना है.
दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में लिडार तकनीक से नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कारिडोर के भूमि सर्वेक्षण का कार्य शुरू हुआ था. फरवरी के पहले सप्ताह में पूरे हुए सर्वे के बाद हेलीकाप्टर पर लगे उपकरण के सहारे सटीक सर्वेक्षण का आंकड़ा, लेजर आंकड़ा, जीपीएस, उड़ान और तस्वीरों को इकट्टा करके एनएचएसआरसीएल के अधिकारियों की टीम अगली रिपोर्ट तैयार करने में जुट गई है.
सर्वे हुआ पूरा, रिपोर्ट हो रही तैयार: एनएचएसआरसीएल
एनएचएसआरसीएल की ओर से जो जानकारी मिली, उसमे कहा गया है कि नई दिल्ली-वाराणसी नेशनल हाई स्पीड रेल कारिडोर के भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है. एरियल लिडार का सर्वे सफल रहा है. आगे की अब अन्य योजनाओं के बाबत रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
सर्वे की रिपोर्ट अप्रैल माह तक आने के बाद इस रूट पर अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू हो जाएगी. नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड हाई स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार का एक संयुक्त उद्यम है, जो इन दिनों लिडार तकनीक के सहारे नई दिल्ली से वाराणसी तक हाई स्पीड रेल कारीडोर का सर्वे कर रही है.
लिडार सर्वे के बाद रूट तय होते ही जमीन अधिग्रहण का दौर शुरू होगा. इसके लिए चार चरणों की तैयारी की गई है. पहले चरण में सेमिनार और प्रस्तुतिकरण के कार्यक्रमों का आयोजन होना है, दूसरे चरण में पेपर वर्क और तीसरे चरण में अधिग्रहण के लिए खाते खोलने की प्रक्रिया का अनुपालन पूरा किया जाएगा और अंतिम चरण में दावों का निस्तारण किया जाएगा। इस प्रकार चार चरणों में जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा होगा.