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चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर SC का अहम आदेश- सरकारी पद पर बैठा व्यक्ति नहीं हो सकता चुनाव आयुक्त

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए. कोई भी अधिकारी जो केंद्र या राज्य सरकार की सेवा में हो या किसी लाभ के पद पर हो, उसे चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता. एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जानकारी में आया था कि गोवा में राज्य कानून मंत्रालय के सचिव को चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इसे गलत करार देते हुए कोर्ट ने यह अहम आदेश दिया है. यह आदेश पूरे देश पर लागू होगा.

गोवा सरकार ने 5 क्षेत्रों में स्थानीय निकाय चुनाव रोकने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने इन क्षेत्रों में चुनाव इसलिए रोक दिया गया था कि वहां महिलाओं के लिए सीट आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. मामले की सुनवाई के दौरान यह मसला भी उठा कि राज्य में इस समय पूर्णकालिक चुनाव आयुक्त नहीं हैं. कानून मंत्रालय के सचिव के पास चुनाव आयोग का अतिरिक्त प्रभार है.

“ये संविधान का मजाक उड़ाने जैसा”
जस्टिस रोहिंटन नरीमन और बी आर गवई की बेंच ने इसे ‘व्यथित करने वाली बात’ करार दिया. जजों ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार के एक अधिकारी ने हाई कोर्ट के फैसले के परे जाकर चुनाव करवाने की कोशिश की है. आज जारी फैसले में लिखा गया है, “एक लोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता. सरकारी पद पर बैठे अधिकारी को चुनाव आयोग का अतिरिक्त जिम्मा सौंप देना संविधान का मजाक उड़ाने जैसा है.”

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए आदेश जारी किया. कोर्ट ने कहा कि देश में कहीं भी चुनाव आयुक्त के पद पर स्वतंत्र व्यक्ति को ही नियुक्त किया जाए. कोर्ट ने गोवा चुनाव आयोग से कहा है कि वह 10 दिन के भीतर नए सिरे से स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करे. 30 अप्रैल तक चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाए.