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J&K: लोगों ने विदेशी राजनयिकों को सुनाया दिल का हाल, कहा- अनुच्छेद 370 हटने के बाद खुश हैं

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24 देशों के राजनयिकों का एक बैच जम्मू-कश्मीर पहुंचा है. यह बैच 2 दिनों तक राज्य में रहकर सरकार के हालात सामान्य करने और विकास कार्यों (Development Works) के प्रयासों की जानकारी जुटाएगा.

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद तीसरी बार विदेशी राजनयिकों का दौरा हुआ. ये राजनयिक राज्य में अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकासकार्यों और बदलावों के संबंध में जानकारी जुटाने पहुंचे थे. इस दौरान उन्हें इसके हटने के बाद सकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया गया. गुरुवार को विदेशी मेहमानों ने कई जन प्रतिनिधियों, समुदाय के नेताओं और रहवासियों से मुलाकात की.

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को नागबनी की महिला सरपंच वंदना ने बताया, ‘मैंने उन्हें बताया कि वो जम्मू और कश्मीर की उन महिलाओं के लिए भेदभाव से भरा था, जो दूसरे राज्यों के पुरुषों से शादी करती हैं. उन्हें पैतृक संपत्ति पर अधिकार से वंचित कर दिया जाता है और कैसे वे यहां की नागरिकता खो देती हैं.’ केंद्र शासित प्रदेश पहुंचे राजनयिकों के इस बैच को जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालात का आकलन करने का मौका दिया गया था.

वंदना ने कहा, ‘वे अनुच्छेद 370 हटने के बारे में जानकारी मांग रहे थे और हमने उन्हें बताया कि हम इसके हटने से बेहद खुश हैं. क्योंकि ये विकास में बाधा डाल रहा था और क्षेत्र के लोगों के लिए भेदभाव से भरा था.’ एक अन्य महिला सरपंच अंजलि शर्मा बताती हैं, ‘हमने उन्हें बताया कि कैसे तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था गरीबों की मदद कर रही है और जमीनी स्तर पर विकास को सुनिश्चित कर रही है.’ इसके अलावा उन्होंने राजनयिकों को बताया कि कैसे पाकिस्तान विश्व समुदाय को गुमराह करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झूठ फैला रहा है.

सरकार की तरफ से यह तीसरा दौरा था, ताकि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद फैल रहीं ‘गलत जानकारियों’ से पर्दा हटाया जा सके. इस मीटिंग के दौरान राजनयिकों को समाज, प्रशासन और सुरक्षा क्षेत्र के लोगों से मुलाकात करने की व्यवस्था की गई थी. जम्मू में मेहमानों ने महिला सरपंचों, जम्मू के मेयर, वेस्ट पाक रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के सदस्य, वाल्मीकि समुदाय और अन्य लोगों से चर्चा की.

वेस्ट पाक रिफ्यूजीस कमेटी के उपाध्यक्ष सुखदेव सिंह मन्हास ने कहा, ‘मेरे समुदाय की तरफ से मैंने उन्हें बताया कि हमारे साथ बीते 73 सालों से क्या हे रहा है. मैंने उन्हें बताया कि पहली बार हमने डीडीसी के चुनाव में वोट डाला. हम विधानसभा चुनावों में मतदान के बुनियादी अधिकारों से वंचित थे.’ मन्हास ने बताया कि उन्होंने दूतों को जानकारी दी कि कैसे उनके बच्चों को सरकारी नौकरी, प्रोफेशनल कोर्स और संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं दिया जाता.