BHOPAL : सड़क निर्माण के प्रस्तावों की एकदम बाढ़ सी आ गयी है. इतनी डिमांड देखकर पीडब्ल्यूडी (PWD) भी परेशान हो उठा है.
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले खराब सड़कों (Roads) ने ‘माननीयों’ की चिंता को बढ़ा दिया है.निकाय चुनाव से पहले अपने विधानसभा क्षेत्र की सड़कों को दुरुस्त करने के लिए विधायक (MLA) परेशान हैं. उन्हें डर है कि कहीं खस्ताहाल सड़कें उनका राजनीतिक करियर ही गढ्ढे में न डाल दें. राज्य सरकार को विधायकों की तरफ से अपने क्षेत्र की सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिए अब तक सात सौ से ज्यादा प्रस्ताव मिल चुके हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से है और अगले एक दो महिने में नगरीय निकाय चुनाव होने की उम्मीद है. लेकिन सड़कों ने विधायकों और नेताओं को परेशान कर रखा है. उन्हें डर है कि निकाय चुनाव में सड़क मुद्दा न बन जाए और उनकी राजनीतिक नैया मझधार में न डूब जाए. बजट आने से पहले सभी विधायकों की पहली डिमांड अपने क्षेत्र में सड़कों की मरम्मत और निर्माण की है. विधायक इस बार के बजट में क्षेत्र की सड़कों के निर्माण की उम्मीद लगा कर बैठे हैं.
सड़क की डिमांड
सड़क निर्माण के प्रस्तावों की एकदम बाढ़ सी आ गयी है. इतनी डिमांड देखकर पीडब्ल्यूडी भी परेशान हो उठा है. विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कोरोना संक्रमण काल के बाद प्रदेश की गड़बड़ायी वित्तीय स्थिति विधायकों की मुराद पूरी करने में आड़े आ रही है. अब विभाग के अफसर विधायकों को फोन लगाकर कह रहे हैं कि सारी सड़कें बनाना तो संभव नहीं है. वो प्राथमिकता वाली टॉप 3 से लेकर टॉप 5 सड़कों के प्रस्ताव दे दें. ताकि जहां बहुत ज़रूरी है पहले वहां सड़क बना दी जाए.
माली हालत खराब
मंत्री भार्गव के मुताबिक सरकार को विधायकों की तरफ से ढेरों प्रस्ताव सड़क निर्माण के मिल रहे हैं. विधायक चाहते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा सड़कों के निर्माण की मंजूरी मिल जाए.सरकार की वित्तीय हालत को देखते हुए सभी सड़कों को मंजूरी देना मुमकिन नहीं है. विधायकों से प्राथमिकता वाली सड़कों के प्रस्ताव मांगे गए हैं कम महत्व वाली सड़कों को फिलहाल बजट में जगह नहीं मिलेगी.
भेदभाव का आरोप
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने सरकार पर कांग्रेस विधायकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.उनका कहना है कांग्रेस सरकार में मंजूर हुई सड़कों के पेमेंट अब तक नहीं किये गए हैं. कांग्रेस विधायकों के प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. यदि सड़क निर्माण के प्रस्ताव में विधायकों के साथ भेदभाव हुआ तो सदन में ये मुद्दा उठाया जाएगा.
करोड़ों की डिमांड
विधायक अब तक जितनी सड़कों की डिमांड कर चुके हैं उन्हें बनाने में करोड़ों रुपये खर्च होंगे. कोरोना और लॉकडाउन के कारण सरकार की माली हालत खराब है. ऐसे में निकाय चुनाव में हर एक विधायक को खुश करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है. सरकार विधायकों को अब अधिकतम पांच और कम से कम 2 सड़कों के निर्माण को मंजूरी देने की तैयारी में है. इसके लिए बजट में गुणा भाग किया जा रहा है. देखना यह होगा कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के बजट में किस विधायक के खाते में सड़क के लिए कितना पैसा जाता है.