वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 के लिए ऐलान किया कि सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के ईपीएफ योगदान पर टैक्स देना होगा. इस टैक्स व्यवस्था को लेकर वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी की तरफ से औपचारिक जानकारी सामने नहीं आई है.
बजट 2021 में इनकम टैक्स रेट और स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. लेकिन, सरकार ने प्रोविडेंट फंड में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का योगदान करने वाले कर्मचारियों से टैक्स वसूलने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, अभी वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) से इस बारे में पूरी जानकारी आना बाकी है कि एक वित्त वर्ष के दौरान ईपीएफ में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर कैसे यह टैक्स लगेगा. आइए जानते हैं सरकार के इस ऐलान के बारे में….
कर्मचारी भविष्य निधि के कितने हिस्से पर टैक्स देना होगा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) द्वारा बजट में ऐलान के आधार पर एक कैलकुलेशन करें तो अगर किसी व्यक्ति की सालाना बेसिक सैलरी 21 लाख रुपये यानी हर महीने 1,73,612 रुपये है तो वो ईपीएफ टैक्स के दायरे में आएंगे. यह जानना जरूरी है कि 2.5 लाख से ज्यादा की रकम पर मिलने वाले ब्याज पर ही टैक्स लगेगा. योगदान की रकम पर यह टैक्स नहीं देना होगा.
उदाहरण की मदद से समझें तो अगर किसी व्यक्ति का सालाना बेसिक पे 22 लाख रुपये तो उन्हें 12 फीसदी के हिसाब से 2.64 लाख रुपये का पीएफ योगदान करना पड़ेगा. 2.5 लाख रुपये की लिमिट से यह रकम 14,000 रुपये ज्यादा है. इसपर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मान लें तो इस अतिरिक्त राशि पर कुल ब्याज 1,190 रुपये होगी. अगर आप 30 फीसदी वाले टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो इसपर आपको 371 रुपये टैक्स देना होगा. इस 371 रुपये में 30 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस शामिल होगा.जिन लोगों की कमाई कम है और वे अपने ईपीएफ या वीपीएफ में ज्यादा राशि बचाते हैं, तो भी उनपर भी इस ईपीएफ टैक्स की मार पड़ेगी.
2.5 लाख रुपये से ज्यादा के ईपीएफ योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर कैसे टैक्स लगेगा?
पहली बात तो यह कि इस टैक्स कैलकुलेशन को लेकर अभी तक कोई औपचारिक नियम नहीं जारी हुए हैं. लेकिन शुरुआती संकेतों से लगता है कि टैक्सपेयर्स को हर साल मिलने वाले ब्याज को इनकम टैक्स स्टेटमेंट में जमा करना होगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन पी सी मूडी ने संकेत दिए हैं कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह ही अतिरिक्त पीएफ योगदान के ब्याज पर टैक्स देना होगा. ब्याज का हिस्सा साल-दर-साल के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा.
उस अतिरिक्त ब्याज दर को कैसे कैलकुलेट करें, जिसपर हर साल टैक्स देना होगा?
संभव है कि प्रोविडेंट फंड स्टेटमेंट में इसे लेकर अलग से जानकारी दी जाएगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में CBDT में टैक्स पॉलिसी डिविज़न के ज्वाइंट सेक्रेटरी कमलेश वार्षणेय के हवाले से कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य में निधि में जो भी योगदान होता है, इसमें 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम को अलग से दर्शाया जाएगा और यही रकम टैक्स के दायरे में आएगा. यह ठीक उसी प्रकार होगा, जिस प्रकार वर्तमान में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स देना होता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर बैंक 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटते हैं. अगर किसी टैक्सपेयसर का टैक्स स्लैब 10 फीसदी से ज्यादा है तो उन्हें एडवांस टैक्स देना होता है. अगर टैक्स की देयता 10 फीसदी से कम होती है तो उन्हें टैक्स रिटर्न भी मिलता है.
क्लियर टैक्स के सीईओ व फाउंडर अर्चित गुप्ता बताते हैं, ‘ पीएफ स्टेटमेंट में कुल रकम पर मिलने वाले ब्याज के बारे में जानकारी दी जाती है. इसमें कर्मचारी और नियोक्ता का योगदान भी शामिल होता है. अब इसे तीन हिस्सों में बांटना पड़ सकता है. दो हिस्से तो कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान के होंगे. इसके अलावा तीसरा हिस्सा सालाना 2.5 लाख रुपये के अतिरिक्त रकम पर मिलने वाले ब्याज का होगा, तभी कर्मचारी अनुपालन कर सकेंगे.’
सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान करने वाले कर्मचारियों को हर साल इसपर टीडीएस देना होगा?
फिक्स्ड डिपॉजिट को ‘अन्य स्त्रोत से होने वाली कमाई’ माना जाता है. ब्याह को डिपॉजिटर के खाते में क्रेडिट करने से पहले 10 फीसदी की दर से टैक्स काट लिया जाता है. हालांकि, एग्जेम्प्ट कैटेगरी वाले डिपॉजिटर्स के लिए ऐसा नहीं होता है. माना जा रहा है पीएफ योगदान को लेकर ऐसी ही व्यवस्था लागू हो सकती है. इस बात पर एक बार फिर ध्यान देने की जरूरत है कि इस पूरी प्रक्रिया के बारे वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी के तरफ से ही औपचारिक जानकारी आनी है.
क्या है कनफ्यूज़न?
बैंकबाज़ार के सीईओर व सह-संस्थापक अधिक शेट्टी का कहना है कि अगर आपने एक वित्त वर्ष में अपने पीएफ में 3 लाख रुपये का योगदान किया है तो अतिरिक्त 50,000 हजार रुपये के ब्याज पर आपको टैक्स देना होगा. टैक्स केवल इसी साल के लिए देना होगा. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि आने वाले सालों में भी टैक्स देना होगा.