प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एतिहासिक चौरी चौरा घटना के शताब्दी समारोह की शुरुआत की. इस मौके पर पीएम मोदी ने एक डाक टिकट भी जारी किया. ये शताब्दी समारोह अगले साल 4 फरवरी तक चलेगा. सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल इस कार्यक्रम में मौजूद हैं.
क्या है चौरी चौरा कांड?
चार फरवरी 1922 को स्थानीय लोग चौरी-चौरा कस्बे में महात्मा गांधी की ओर से शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के समर्थन में जुलूस निकाल रहे थे. इसी दौरान स्थानीय पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई. पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश भड़क गया. लोगों के आक्रोश को देखकर पुलिसवाले थाने में छिप गए, लेकिन लोगों ने बाहर से कुंडी लगाकर थाने में आग लगा दी. इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गये. घटना की प्रतिक्रिया में, अहिंसा के पैरोकार महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया.
चौरी-चौरा काण्ड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बतौर वकील पंडित मदन मोहन मालवीय की पैरवी से इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये. बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई. इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 10 लोगों को 8 साल सश्रम कारावास की सजा हुई. जिन लोगों को फांसी दी गई, उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया.