कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से मार्च-सितंबर के बीच केंद्र और राज्यों के राजस्व कमाई को जबरदस्त धक्का लगा. लॉकडाउन किए जाने से मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद कई महिनों तक आर्थिक गतिविधियां, विनिर्माण, उत्पादन और कामकाज ठप रहा, जिसकी वजह से मार्च से अगस्त माह तक जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) काफी कम हुआ.
कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से मार्च-सितंबर के बीच केंद्र और राज्यों के राजस्व कमाई को जबरदस्त धक्का लगा. लॉकडाउन किए जाने से मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद कई महिनों तक आर्थिक गतिविधियां, विनिर्माण, उत्पादन और कामकाज ठप रहा, जिसकी वजह से मार्च से अगस्त माह तक जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) काफी कम हुआ. चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन में हुई गिरावट की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखा.
इसके अलावा सभी राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार के पहले विकल्प का चयन किया. इस व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार राज्यों की ओर से कर्ज लेकर जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST compensation) जारी करती है. वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने आज 14 वीं किस्त के रूप में राज्यों को 6 हजार करोड़ रुपये जारी किया है. केंद्र सरकार अबतक कुल 78 हजार करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. आज जारी हुए 6000 करोड़ में से 5,516.60 करोड़ रुपये सिर्फ 23 राज्यों के लिए जारी किया गया है. वहीं 483.40 करोड़ रुपये 3 संघ शासित प्रदेशों दिल्ली, जम्मू कश्मीर और पुद्दुचेरी के लिए जारी किया गया है. जबकि 5 राज्य अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम जीएसटी लागू किए जाने से राजस्व का कोई नुकसान नहीं उठा रही है.
इस ब्याज दर पर केंद्र सरकार कर्ज लेकर राज्यों को मुहैया करवा रही है राशि
जीएसटी क्षतिपूर्ति के अंतर का 76 फीसदी से अधिक का रकम केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी कर दिया है. इसमें से 76,616.16 करोड़ रुपये राज्यों को 7383.84 करोड़ रुपये 3 संघ शासित प्रदेशों को जारी किया जा चुका है. केंद्र सरकार राज्यों की ओर से 4.61 फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज लेकर राज्यों को क्षतिपूर्ति दे रही है. केंद्र सरकार ने औसतन 4.74 फीसदी की ब्याज दर से अब तक 14 किस्तों में 84 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेकर राज्यों को जारी किया है.
84 हजार में से इस राज्य को मिला सबसे अधिक राशि
अबतक कुल 84 हजार करोड़ रुपए में से सबसे अधिक कर्नाटक को 10396.53 करोड़ रुपये मिला है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश को 1936.53 करोड़ रुपये, बिहार को 3271.94 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ 1523.34 करोड़ रुपये, गुजरात-7727.43 करोड़ रुपये, हरियाणा- 3646.77 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश- 1438.79 करोड़ रुपये, झारखंड- 827.55 करोड़ रुपये, केरल- 3153.48 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश-3806.03 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र- 10036.53 करोड़ रुपये, ओडिशा-3202.69 करोड़ रुपये, राजस्थान- 3162.97 करोड़ रुपये, तमिलनाडु- 5229.92 करोड़ रुपये, तेलंगाना- 1466.01 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश- 5033.57 करोड़ रुपये, उत्तराखंड- 1940.91 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 2423.29 करोड़ रुपये मिला है. वही संघ शासित प्रदेशों में दिल्ली को 4914.56 करोड़ रुपये,जम्मू-कश्मीर- 1903.74 करोड़ रुपये और पुद्दुचेरी को 565.54 करोड़ रुपये राशि मिला हैं.
सबसे अधिक यह राज्य ने विशेष व्यवस्था के तहत अतिरिक्त कर्ज ले सकता है
केंद्र सरकार ने पहले विकल्प को चुनने वाले राज्यों को स्पेशल विंडों के तहत कर्ज लेने की व्यवस्था दी है, जिसके तहत राज्यों को स्टेट जीटीपी का 0.50 फीसदी का अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाना है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 1,06,830 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जा सकता है.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक महाराष्ट्र अपने जीडीपी का 0.50 फीसदी यानी 15394 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकता है. इसके अलावा झारखंड 1,765 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश 9703 करोड़ रुपये, तमिलनाडु 9627 करोड़ रुपये, कर्नाटक 9018 करोड़ रुपये, हरियाणा 4293 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश 877 करोड़ रुपये, केरल 4522 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश 4746 करोड़ रुपये, मणिपुर 151 करोड़ रुपये, मेघालय 194 करोड़ रुपये, मिजोरम 132 करोड़ रुपये, नागालैंड 157 करोड़ रुपये, ओडिशा 2858 करोड़ रुपये, पंजाब 3033 करोड़ रुपये, राजस्थान 5462 करोड़ रुपये, सिक्किम 156 करोड़ रुपये, तेलंगाना 5017 करोड़ रुपये, त्रिपुरा 297 करोड़ रुपये, उत्तराखंड 1405 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल 6787 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त कर्ज विशेष व्यवस्था के तहत ले सकता है.
अब तक कुल 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने चुना हैं पहला विकल्प
केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए दो विकल्पों में अधिकतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले विकल्प चुना है. पहले विकल्प को चुनने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिसा, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल है. इसके अलावा तीन केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर ने भी पहले विकल्प को चुनने का फैसला किया है.
राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की ये है व्यवस्था
1 जुलाई 2017 में 525.14 जीएसटी लागू करते समय केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों को आश्वस्त किया था कि जुलाई 2022 तक केंद्र राज्यों को जीएसटी लागू करने पर टैक्स कलेक्शन में आई गिरावट की भरपाई करेगा. इसमें यह वही व्यवस्था की गई थी कि हर साल 14 फीसदी की राजस्व बढ़ोतरी के आधार पर यह आकलन किया जाएगा.