बंगाल विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया जिससे नाराज होकर भाजपा के विधायकों ने जय श्री राम का नारा लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया. बंगाल से पहले गैर भाजपा शासित राज्यों पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली की विधानसभाओं में इसकानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.
पश्चिम बंगाल (West Bengal) की तृणमूल कांग्रेस सरकार (Trinamool Congress Government) ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रस्ताव के साथ ही मांग रखी, कि केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करे या फिर सरकार कुर्सी छोड़ दे. बनर्जी ने कहा, “प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए, ताकि उसमें कृषि कानूनों की वापसी पर चर्चा हो सके.”
बनर्जी ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के लिए पुलिस को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने स्थिति को अपने हाथ से बाहर जाने दिया. मुख्यमंत्री ने कहा, “किसानों को देशद्रोही जैसा करार देना हमें स्वीकार नहीं है.” राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस पर व्यापक हिंसा देखी गई थी, जब किसानों ने स्वीकृत मार्ग से भटककर ट्रैक्टर रैली निकाली और उन्होंने मध्य दिल्ली में संसद भवन की ओर मार्च किया था. राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न महत्वपूर्ण सड़कों पर सैकड़ों ट्रैक्टरों पर सवार प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया और उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मियों से वे भिड़ भी गए थे. वहीं, कुछ प्रदर्शनकारियों ने ऐतिहासिक लाल किले पर भी हंगामा किया. आंदोलनकारियों के एक समूह ने तलवारें निकालीं और उनको लहराते हुए प्रदर्शन किया.
दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बताया था कि हिंसा में करीब 400 पुलिस वाले घायल हुए हैं और उनमें से कई आईसीयू में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है और किसान नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया. पुलिस ने कई किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. इस बीच, किसान संगठनों ने सरकार और पुलिस को हाथापाई के लिए दोषी ठहराया.