इस हथियार का वजन करीब 120 किलोग्राम है और इस तरह के हथियार का इस्तेमाल रनवेज, दुश्मन के बंकर्स और एयरक्राफ्ट वगैरह उड़ाने के लिए किया जाता है.
भारत की रक्षा उपलब्धियों में एक और नई सफलता जुड़ गई है. स्वदेशी हॉक-आई कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को रक्षा PSU हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने ओडिशा के तट से हॉक-आई विमान से एक स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. स्वदेशी स्टैंड-ऑफ हथियार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा विकसित किया गया है.
यह एक भारतीय हॉक-एमके 132 से निकाला गया पहला स्मार्ट हथियार है. इस परीक्षण को आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम की ओर बढ़ते कदम बताया जा रहा है. इस हथियार का सफल प्रेक्षण सेवानिवृत विंग कमांडर पी अवस्थी एवं विंग कमांडर एम पटेल ने एयरक्राफ्ट के माध्यम से किया. डीआरडीओ के अनुसार हथियार 125 किग्रा की कैटेगरी में शामिल है.
जानें इसकी खासियत…
इस हथियार का वजन करीब 120 किलोग्राम है और इस तरह के हथियार का इस्तेमाल रनवेज, दुश्मन के बंकर्स और एयरक्राफ्ट वगैरह उड़ाने के लिए किया जाता है. इसकी मारक क्षमता करीब 100 किमी की है यानी हमारे लड़ाकू विमान पर्याप्त ऊंचाई से दुश्मन के अड्डों को ध्वस्त कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.
रक्षा और हथियारों में आत्मनिर्भर बन रहा है भारत
उल्लेखनीय है कि चीन से गलवान घाटी और कोरोना महामारी के दौर में भारत आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है. कुछ वक्त पहले ही डीआडीओ ने और भारतीय सेना ने मिलकर एक मशीन पिस्टल एएसएमआई तैयार किया है. यह देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल है. इससे पहले नवंबर 2020 में पूर्व में डीआरडीओ द्वारा विकसित रुद्रम एंटी रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. यह परीक्षण सुखोई-30 लड़ाकू विमान से किया गया था. रुद्रम देश की पहली एंटी-रेडिएशन मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने भारतीय एयर फोर्स के लिए तैयार किया है.