भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘आंदोलन से कोई भी अदालत के पास नहीं गया. अध्यादेश के माध्यम से सरकार विधेयक लाई, इसे सदन में पेश किया गया. यह उसी रास्ते से वापस जाएगा जहां से यह आया था.’
किसान आंदोलन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की बैठक पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है- ‘हमें नहीं पता. हम (सुप्रीम कोर्ट गठित समिति की पहली बैठक में) नहीं जा रहे हैं.’ उन्होंने मांग की है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले. टिकैत ने कहा कि अध्यादेश के जरिए सरकार कानून लाई थी. वह इसे वापस ले.
टिकैत ने कहा, ‘आंदोलन से कोई भी अदालत के पास नहीं गया. अध्यादेश के माध्यम से सरकार विधेयक लाई, इसे सदन में पेश किया गया. यह उसी रास्ते से वापस जाएगा जहां से यह आया था.’ गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले दिनों गठित की गई समिति की पहली बैठक मंगलवार को होगी. समिति के सदस्य अनिल घनवंत ने सोमवार को यह जानकारी दी थी.
50 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन जारी
उन्होंने बताया, ‘हम कल बैठक करेंगे. इसमें सिर्फ समिति के सदस्य शामिल होंगे. हम वार्ता से संबंधित बिंदुओं को लेकर आपसी चर्चा करेंगे और फिर आगे की कार्रवाई तय करेंगे.’ सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी. इन कानूनों के खिलाफ किसान संगठन लगभग 50 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसे लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था.
शीर्ष अदालत ने घनवंत के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को इस समिति का सदस्य बनाया है. मान ने हालांकि खुद को इस समिति से अलग कर लिया है. समिति कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले किसानों का पक्ष सुनकर दो महीने के भीतर शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.