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कुर्सी जाते देख ओली की चीन को चेतावनी, भारत-नेपाल संबंधों में दखल न दें

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India-Nepal Boreder Dispute: नेपाल के कार्यकारी पीएम केपी शर्मा ओली का भारत के प्रति रुख बदलता नज़र आ रहा है. ओली ने न सिर्फ चीन को नेपाल की आंतरिक राजनीति से दूर रहने की हिदायत दी है बल्कि भारत को सबसे करीबी सहयोगी भी बताया है.

नेपाल (Nepal) में जारी राजनीतिक कलह के बीच कार्यकारी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के सुर बदले नज़र आ रहे हैं. चीन समर्थक माने जाने वाले ओली ने कहा जिनपिंग सरकार को सख्‍त संदेश देते हुए कहा है कि वे नेपाल की आंतरिक राजनीति में दखल देने से बाज आए. ओली ने कहा कि हमें अपनी आजादी पसंद है और हम दूसरों के आदेशों को नहीं मानते हैं. ओली ने इस दौरान भारत की तारीफ की और कहा कि भारत के साथ नेपाल (India-Nepal Border Dispute) की दोस्ती स्वाभाविक है और इसके बीच में कोई नहीं आ सकता.

ओली ने एक भारतीय चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि नेपाल अपने मामलों में स्‍वतंत्र होकर फैसला करता है. उन्होंने कहा कि नेपाल के भारत के साथ रिश्‍ते बहुत अच्‍छे हैं. काठमांडू पोस्‍ट की खबर के मुताबिक ओली अब भारत से नजदीकियां बढ़ाकर पार्टी के नाराज़ कैडर और जनता का भरोसा जीतना चाहते हैं. इस इंटरव्यू के जरिए ओली ने देश की जनता को संदेश दिया कि नेपाल के हित से बढ़कर कुछ नहीं है. भारत के साथ संबंधों को पटरी पर लाकर ओली कोरोना वैक्सीन हासिल कर फिर से चुनावों में जीत का परचम लहराने की फ़िराक में हैं. सत्‍तारूढ़ नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के ओली के धड़े वाले एक नेता ने कहा, ‘यह सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा है ताकि भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाया जा सके.’

नेपाल को है भारत की ज़रुरत!
ओली ने यह संदेश दिया है कि वह भारत के साथ हैं और चूंकि उन्‍होंने चुनाव की घोषणा कर दी है, उन्‍हें समर्थन की जरूरत है. भारत में नेपाल के पूर्व राजदूत लोकराज बरल ने कहा कि ओली ने यह बयान देकर यह स्‍पष्‍ट संदेश दिया है कि नेपाल और भारत दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. ओली का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब नेपाल के विदेश मंत्री और ओली के बेहद करीबी प्रदीप ज्ञवली 14 जनवरी को भारत आ रहे हैं.
आधिकारिक रूप से कहा गया है कि ज्ञवली कोरोना वायरस वैक्‍सीन को लेकर भारत से बातचीत करेंगे. हालांक‍ि कहा यह जा रहा है कि नेपाल के ताजा राजनीतिक हालात पर ज्ञवली भारतीय नेतृत्‍व के साथ बात करेंगे और समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि भारत ने नेपाली पीएम के संसद को भंग करने को नेपाल का ‘आंतरिक मामला’ बताया है.

कालापानी और लिपुलेख को बताया नेपाल का हिस्सा
WION न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान ओली ने कहा कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के इलाके नेपाल का ही हिस्सा हैं. हम चीन या भारत के क्षेत्र पर दावे करने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन, हम अपने मित्रों के साथ अपने क्षेत्रों पर दावा जरूर करेंगे. मेरा मानना है कि 2021 वह वर्ष होगा जब हम घोषणा करेंगे कि नेपाल और भारत के बीच कोई समस्या नहीं है.

भारत-चीन विवाद का समाधान कराने की पेशकश
ओली ने अपने बयान में भारत और चीन के बीच जारी विवाद का समाधान कराने की भी पेशकश की. ओली ने कहा कि अगर हम उनकी सहायता करने में मददगार साबित हो सकते हैं तो हम तैयार हैं. इससे पहले ओली के कार्यकाल में नेपाल का नया नक्शा जारी किया गया था जिसमें भारत के लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को दिखाया गया था. वहीं, चीन ने हुमला में नेपाल की कई किलोमीटर जमीन पर अपना कब्जा किया हुआ है. ओली ने स्पष्ट कहा कि उनका देश भारत और चीन से संप्रभुता को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा.